ऑक्सीजन की कमी, शरीर को चीर रही ठंडी हवा, Gen-Z Protest के बीच नेपाल में फंसे अयोध्या-लखनऊ के 36 लोग...PMO से लगाई गुहार
अयोध्या, अमृत विचार। नेपाल में चल रहे राजनीतिक तनाव व हिंसक प्रदर्शन के बीच भारत के 36 लोगों का एक समूह वहां फंस गया है। सभी कैशाल मानसरोवर दर्शन करने गये थे। इसमें नौ लोग अयोध्या के और छह लोग लखनऊ के रहने वाले हैं। अन्य पीलीभीत के व कुछ लोग साउथ कोरिया के निवासी हैं। समूह में सात महिलाएं भी हैं। सभी एक सितंबर को कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए थे।
वहां से सभी बुधवार सुबह हेलीकॉप्टर से चीन-नेपाल के बॉर्डर पर हिलसा गांव पहुंचे हैं। खबर लिखे जाने के समय सभी हुमला-9 माउचू गांव के होटल स्नो लायन में रुके थे। लखनऊ के इंदिरा नगर सी ब्लॉक निवासी व्यवसायी प्रदीप सचदेवा व अयोध्या के शक्ति बिहार कॉलोनी निवासी सुशील राजपाल ने बताया कि यहां ऑक्सीजन की कमी है। हवा बहुत ठंडी है। पीएमओ कार्यालय से लेकर नेपाल के उच्चायुक्त तक सभी संपर्क में हैं। हमें महादेव पर भरोसा है कि वह सबको सकुशल घर वापस पहुंचाएंगे।
गांव की स्थिति बेहद कठिन है। यहां ऊंचाई अधिक होने से ऑक्सीजन की मात्रा कम है, जिससे सांस लेना मुश्किल है। शरीर को चीरने वाली ठंडी हवा चल रही हैं, जो हड्डियों तक सिहरन पैदा कर देती हैं। सबसे बड़ी समस्या भोजन की है, हमारे पास तीन टाइम का ही भोजन बचा है। पानी भी ठंडा और सीमित है। ये कहना है लखनऊ के निवासी व्यावसायी प्रदीप सचदेवा और अयोध्या निवासी सुशील राजपाल का। दोनों लोग उन 36 लोगों के समूह में शामिल हैं जो कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा से लौटते समय चीन-नेपाल बॉर्डर के एक दुर्गम गांव हुमला-9 माउचू के होटल स्नो लायन में फंसे हैं। अयोध्या के नौ और लखनऊ के छह श्रद्धालुओं समेत पीलीभीत और साउथ कोरिया से कुल 36 लोग फंस गये। यह घटना नेपाल में चल रहे राजनीतिक तनाव के बीच सामने आई है, जहां हिंसक प्रदर्शनों ने यातायात व्यवस्था को ठप कर दिया है।
समूह के लोग एक सितंबर को कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए निकले थे। यात्रा पूरी कर भारत लौटने के चक्र में वे नेपाल के एक छोटे से पहाड़ी गांव में अटक गए हैं। प्रदीप सचदेवा ने बताया कि हम भगवान शिव का ध्यान कर रहे हैं। यात्रा के दौरान हमने जो कष्ट सहे, वह तो आस्था का हिस्सा था, लेकिन यहां फंसना अप्रत्याशित है। फिर भी, महादेव की लीला है। सभी साथी भगवान शिव की कृपा पर भरोसा जता रहे हैं। कह रहे हैं, "कोई डर नहीं है, महादेव सबको सकुशल घर पहुंचाएंगे।"
यात्रियों ने बताया कि वह कैलाश पर्वत के चारों ओर परिक्रमा और मानसरोवर झील के पवित्र स्नान के बाद तिब्बत से नेपाल की ओर बढ़े थे। नेपाल के रास्ते से यात्रा करने वाले अधिकांश भारतीय श्रद्धालु काठमांडू होते हुए भारत लौटते हैं, लेकिन वर्तमान में देश में फैले आंदोलनों ने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया है। नेपाल में हिंसा के कारण इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं। कर्फ्यू लगा हुआ है, जिसमें केवल एम्बुलेंस, दमकल और कुछ आवश्यक वाहनों को छूट है। हवाई टिकट दिखाने वाले यात्रियों को भी एयरपोर्ट तक जाने की अनुमति मिली है, लेकिन व्यावहारिक रूप से कोई आवाजाही नहीं हो पा रही। वहीं, फोन कॉल की भी सुविधा नहीं है, सभी व्हाट्स एप कॉल से अपने घरवालों से बात कर रहे हैं।
पीएमओ कार्यालय व नेपाल में भारतीय दूतावास से चल रही बात
यात्रियों ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से सीधी बातचीत चल रही है। भारतीय दूतावास काठमांडू में सक्रिय है और नेपाल सरकार के साथ समन्वय कर रहा है। दूतावास ने पहले भी ऐसी स्थितियों में तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित निकाला है। अयोध्या में उनके परिवारीजनों ने स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उनके परिवार के लोगों की भी प्रार्थनाएं जारी हैंऔर जल्द ही सुखद समाचार की उम्मीद है।
यह यात्री फंसे हैं नेपाल में
अयोध्या के शक्ति बिहार कॉलोनी निवासी सुशील राजपाल, देवकाली निवासी मदन जायसवाल, साकेतपुरी निवासी चमन सिंह, नाका निवासी विकास गुप्ता, साकेतपुरी निवासी अभय विक्रम सिंह, कौशलपुरी कॉलोनी निवासी अनूप सिंह, अमानीगंज निवासी शैलेंद्र अग्रहरि व दर्शननगर निवासी पूर्व ब्लॉक प्रमुख रमाकांत यादव शामिल हैं। लखनऊ के आशियाना निवासी सुमेंद्र होरा, सी ब्लॉक इंदिरानगर निवासी प्रदीप सचदेवा, अंकुर सक्सेना, सीमा श्रीवास्तव, मनोज त्रिपाठी व रिंकी त्रिपाठी शामिल हैं।
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