Dussehra: अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व विजय दशमी...तीन शुभ योगों में मनाया जाएगा दशहरा पर्व, जानिए रावण दहन का मुहूर्त 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचारः आश्विन शुक्ल दशमी को पूरे देश में विजयादशमी या दशहरा का पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जायेगा। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश भी देता है। इस वर्ष विजयादशमी 2 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन तीन अत्यंत शुभ योगों रवि योग, सुकर्मा योग और धृति योग का संयोग बन रहा है, जिससे यह दिन और भी पावन व फलदायक हो जाएगा।

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आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म का अंत किया था।

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साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार कर देवी रूप में शक्ति का उद्घोष किया था। इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य, नया व्यवसाय, वाहन या संपत्ति की खरीददारी अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

विजय मुहूर्त और पूजन का समय

विजय मुहूर्त : दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक

अपराह्न पूजन मुहूर्त : दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक

इस दौरान अपराजिता देवी, जया, विजया देवी तथा शमी वृक्ष का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन अस्त्र-शस्त्र पूजन, सीमा उल्लंघन (विजय प्रयाण) तथा अपराजिता पूजन का विशेष महत्व होता है।

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पुतला दहन की परंपरा

दशहरे के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की प्रतीकात्मक जीत को दर्शाता है। यह कार्यक्रम आमतौर पर संध्या काल में किया जाता है, जब हजारों की संख्या में लोग इस दृश्य को देखने हेतु एकत्र होते हैं।

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