Delhi Blast : डॉ. शाहीन की महिला विंग में कानपुर की 90 महिलाएं, मुजम्मिल के संपर्क में आने से मिला लाभ
पश्चिमी यूपी के साथ उन्नाव, लखनऊ, फतेहपुर, प्रयागराज में नेटवर्क फैलाने की थी जिम्मेदारी
कानपुर, अमृत विचार। सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगीं डॉ. शाहीन की यूपी की तकरीरों के वीडियो उसका छिपा चेहरा उजागर करने वाले हैं। पता चला कि सीधी और शांत दिखने वाली डॉ. शाहीन के शब्द जहर उगलते हैं। उसके आडियो भ्रमित करने में कुछ समय ही लेते हैं। उसने परिवार के सभी सदस्यों को जेहादी बनाया।
डॉ. शाहीन मोबाइल पर वीडियो भेजकर तो कभी आडियो भेजकर ब्रेनवॉश करती। एजेंसी को डॉ. शाहीन के नेटवर्क से जुड़ी कई महिलाएं मिली, जिन्होंने बताया कि डॉ. शाहीन महिलाओं से बात करते महिला होने का फायदा उठाती तो पुरुषों से बात करके विपरीत के कारण खुद को जोड़ती।
डॉ. शाहीन को पश्चिमी यूपी के साथ उन्नाव, लखनऊ, फतेहपुर, प्रयागराज, कानपुर देहात, कन्नौज समेत अन्य जिलों में नेटवर्क फैलाने की जिम्मेदारी थी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार डॉ. शाहीन की महिला विंग में कानपुर की 90 महिलाएं होने की बात सामने आई है। वहीं मुजम्मिल के संपर्क में आने से डॉ. शाहीन को काफी लाभ मिला है। उसी के संपर्क में आने के बाद वह मुजम्मिल के सहपाठी डॉ. आरिफ से मिली।
यही कारण है कि दोनों काफी करीब आ गए और आरिफ शाहीन की जिम्मेदारी भी निभाने लगा। एक ही पेशे से जुड़े होने के कारण मेलमिलाप में भी दिक्क्त नहीं आई। उनके बीच व्हाट्सएप कॉल और चैटिंग भी होने लगी थी। शाहीन के पूर्व पति डॉ. जफर हयात की बात से भी स्पष्ट हुआ कि वह शांत और सरल दिखने वाली थी, लेकन उसकी हशरतें सातवें आसमान पर थीं। वह यूरोपियन देशों में बसने का दबाव डालती थी। एक दिन अचानक शाहीन पति व दोनों बच्चों को भी छोड़कर चली गई।
शातिर होने के कारण ब्रेनवॉश में माहिर
कुछ ही दिनों में अपने शातिर अंदाज के कारण विख्यात हुई डॉ. शाहीन आखिर कौन है और कहां से चलकर मुजम्मिल तक पहुंची। शाहीन ने लखनऊ के एक सरकारी स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा ली। इसके बाद सीपीएमटी क्वालीफाई कर 1996 में प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस एडमिशन लिया। 2002 में पढ़ाई और इंटर्नशिप पूरी की। वह कॉलेज कैंपस के गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी।
शुरुआत से ही उसका अपने साथियों से बहुत अधिक मेलजोल नहीं रहा। एमबीबीएस के बाद फार्माकोलॉजी में एमडी की डिग्री हासिल की। 2006-07 में यूपी लोक सेवा आयोग से उसका चयन कानपुर के जीएसवीएम में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ। 2009-10 में उसका ट्रांसफर कन्नौज के तिर्वा मेडिकल कॉलेज में हो गया।
2010 में दोबारा कानपुर लौट आई। लौटने के बाद गतिविधियां संदिग्ध हुईं और अचानक लापता हो गई। 2021 में सरकार ने सेवाएं समाप्त कर दीं। पति व बच्चों को छोड़कर मुजम्मिल के संपर्क में आई और जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग कमांडर बनी।
पति से तलाक के बाद अपने खतरनाम इरादों को दी धार
जीएसबीएम से कन्नौज ट्रांसफर होने के बाद ही डॉ. शाहीन में तेजी से बदलाव आने लगा था। उसके बाद तलाक के बाद शाहीन ने गति पकड़ी। सूत्रों के अनुसार तभी उसकी मुलाकात फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे डॉ. मुजम्मिल से हुई। मुजम्मिल ने शाहीन को अल-फलाह यूनिवर्सिटी में प्रवेश दिलाया। मेडिकल फैकल्टी के रूप में काम शुरू किया। इसके बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग के संपर्क में आईं और महिला कमांडर बनकर जहर फैलाना शुरू किया।
कानपुर कनेक्शन के बाद पुलिस कमिश्नरेट अलर्ट
पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने शहर में संदिग्धों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। जो कानपुर में रहने वाले पाकिस्तानी समेत अन्य विदेशियों का सत्यापन करेगी। घनी आबादी वाले इलाकों में टूर एंड ट्रैवेल्स से डिटेल लेनी शुरू की है। जहां से कानपुर के बाहर या दूसरे प्रदेशों में वाहन बुक कराकर जाते हैं। जो लोग एक साल में कई बार कश्मीर के टूर बना चुके हैं। उनके बारे में पता किया जा रहा है। स्थानीय खुफिया की माने तो कमिश्नरेट में 200 से ज्यादा कश्मीरी और बांग्लादेशी रह रहे हैं।
