Mahadeva Mahotsav : कथक की अद्भुत छटा से महका महादेवा महोत्सव, पंडित अनुज मिश्रा व नेहा मिश्रा ग्रुप ने शिव लीला का किया अलौकिक मंचन

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Published By Deepak Mishra
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रामनगर/बाराबंकी, अमृत विचार। महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक पाण्डाल में सोमवार की शाम देश की प्रसिद्ध कथक कला की सुरम्य छटा बिखरी, जब पंडित अनुज मिश्रा और नेहा मिश्रा एंड ग्रुप के कलाकारों ने कथक नृत्य के माध्यम से भगवान शिव की लीलाओं का अद्भुत और भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण किया।

कार्यक्रम की शुरुआत आनंद तांडव कर्पूर गौरं करुणावतारम्प र मनमोहक नृत्य से हुई, जिसने दर्शकों को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया। इसके बाद कलाकारों ने रौद्र तांडव जटा तवी गलत ज्वलत की विलक्षण प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को भक्ति और ऊर्जा के साथ जोड़ दिया।

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करीब पाँच हजार वर्ष पुरानी शिव ध्रुपद की मनोहारी प्रस्तुति कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बनी और इसने सभागार में उपस्थित हर व्यक्ति का मन मोह लिया। मंच पर आगे शक्ति वंदना जय जय गिरिराज किशोरी, शिव-गंगा और शिव नाटिका का भी उत्कृष्ट नृत्य-नाट्य प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसे दर्शकों ने खड़े होकर सराहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन आशीष पाठक ने किया।

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लोकगीतों और भजनों की सुरधारा से गूंजा सांस्कृतिक पाण्डाल

रामनगर। महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक पाण्डाल में सोमवार की शाम भक्ति और लोकसंगीत का अनुपम संगम देखने को मिला, जब पूर्णिमा और सुर सरगम ग्रुप की प्रसिद्ध लोक गायिका पुष्पा त्रिवेदी ने अपने सहयोगी कलाकारों के साथ एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 

कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पा त्रिवेदी की भावपूर्ण प्रस्तुति करुणा निधान रउवा जगत के दाता” से हुई, जिसने पाण्डाल में भक्ति का वातावरण घोल दिया। इसके बाद उनके द्वारा गाया गया भजन मेरी विनती सुनो सांवरे राम जी श्रोताओं के मन में गहरी छाप छोड़ गया। 

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लोकगीतों की कड़ी में प्रस्तुत तोहार दूल्हा हो, तोहार दूल्हा गौरा सबसे निराला ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं तेजस्वी त्रिवेदी की प्रस्तुति लाईके शिव के मनाई हो ने कार्यक्रम में शिव भक्ति का रंग गाढ़ा किया। 

आशा त्रिवेदी ने चलो चली भैय्या महादेवा लोधेश्वर की शिवनगरी गीत प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को महादेवा धाम से भावनात्मक रूप से जोड़ दिया। श्रोताओं ने सभी प्रस्तुतियों पर जमकर तालियां बजाईं और कलाकारों के शानदार प्रदर्शन की सराहना की। लोकसंगीत और भक्ति रस में डूबी यह संध्या महोत्सव की सबसे यादगार प्रस्तुतियों में से एक रही।

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