बरेली: गन्ना मंत्री की सख्ती बेअसर, किसान अब भी परेशान
अमृत विचार, बरेली। गन्ना विकास और चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा की सख्ती के बाद भी किसानों को बकाया भुगतान नहीं होने से वे परेशान हैं। पिछले दिनों अधिकारियों के साथ की गई वीडियो कांफ्रेंसिंग में मंत्री ने पिछले सत्र का बकाया भुगतान करने के साथ ही पेराई सत्र 2020-21 में किसानों का भुगतान गन्ने …
अमृत विचार, बरेली। गन्ना विकास और चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा की सख्ती के बाद भी किसानों को बकाया भुगतान नहीं होने से वे परेशान हैं। पिछले दिनों अधिकारियों के साथ की गई वीडियो कांफ्रेंसिंग में मंत्री ने पिछले सत्र का बकाया भुगतान करने के साथ ही पेराई सत्र 2020-21 में किसानों का भुगतान गन्ने की तौल के बाद 15 दिन में करने के निर्देश दिए थे। जिले की समस्त चीनी मिलों ने मंत्री के इस आदेश को हवा में उड़ा दिया। चीनी मिलों की मनमानी से परेशान किसान बिचौलिया और माफिया को गन्ना देने को मजबूर हैं।
जनपद की सेमीखेड़ा स्थित किसान सहकारी, बहेड़ी की केसर इंटरप्राइजेज, मीरगंज की डीएसएम, नवाबगंज की ओसवाल और फरीदपुर स्थित द्वारिकेश चीनी मिल इस पेराई सत्र में 17 लाख क्विंटल से अधिक गन्ना पेराई कर चुकी है मगर, अफसरों की सुस्ती की वजह 80 फीसदी भुगतान किसानों को अभी तक नहीं दिया गया है। यह स्थिति तब है जब शासन के सख्त निर्देश हैं कि गन्ने की तौल के बाद 15 दिन के अंदर भुगतान किया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।
विभागीय आंकड़ों में सबसे खराब स्थिति सेमीखेड़ा, नवाबगंज और बहेड़ी स्थित चीनी मिलों की है। जिन्होंने पिछले पेराई सत्र का करीब पचास करोड़ का भुगतान नहीं किया है। इससे आहत किसान मजबूरी में बिचौलिया और माफिया को कम दामों में गन्ना बेचने को मजबूर हैं। इस सत्र का भी जनपद की समस्त पांचों चीनी मिलों पर 206 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। डीसीओ पीएन सिंह ने बताया कि चीनी मिलों पर किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। मिलें बीते सत्र का बकाया चीनी बेच कर चुकाएंगी। इसके अलावा हाल ही में भुगतान में देरी पर मिल प्रबंधकों को नोटिस जारी किया गया है।
13 लाख क्विंटल चीनी का हुआ उत्पादन
गन्ना विभाग के अनुसार चालू पेराई सत्र में जिले की समस्त चीनी मिलें 17.51 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। इससे 13 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है। अफसरों के मुताबिक, जिन चीनी मिलों पर बीते सत्र का बकाया है वह चीनी बेचकर भुगतान करेंगी। इसके अलावा जो मिलें बीते सत्र का भुगतान कर चुकी हैं वे इस सत्र का भुगतान करेंगी।
इस सत्र में चीनी मिलों पर बकाया (लाख रुपये में)
चीनी मिल का नाम बकाया राशि
द्वारिकेश 4485.13
केसर मिल बहेड़ी 8459.24
धामपुर मिल मीरगंज 4063.65
ओसवाल मिल नवाबगंज 2984.52
सहाकारी मिल सेमीखेड़ा 685.49
गन्ने से हो रहा मोहभंग, किसानों ने बढ़ाया गेहूं का रकबा
किसानों का गन्ने से मोहभंग होने लगा है। गन्ना घटतौली से लेकर पर्ची समय से नहीं मिलने, भुगतान में देरी समेत कई अन्य तरीके की असुविधा होने पर उन्होंने गेहूं का रकबा बढ़ा दिया है। पिछले साल के मुकाबले इस बार बीज की अधिक बिक्री से यह बात साफ हो गई है। जिले में मुख्य रूप से किसान गन्ना, गेहूं और धान लगाते हैं। जानकारी के अनुसार, जिले में वर्ष 2019-20 में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि पर करीब पौने दो लाख किसानों ने गन्ने की फसल की थी।
वहीं, वर्ष 2020-21 में 80 हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने गन्ना उगाया है। ऐसे में करीब बीस हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल नहीं लगी है। किसानों की संख्या भी कम होना बताया गया है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि किसानों का मानना है कि गन्ने की फसल लगाने से उसके मूल्य का समय से भुगतान नहीं होता है। अगर धान गेहूं की फसल लगाएंगे तो जब चाहे उसे बेचकर अपनी जरूरतों को पूरा कर लेंगे। जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने कहा कि इस वर्ष गन्ने का रकबा कम हुआ है। गन्ने का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। अच्छी प्रजाति के गन्ने की बुआई कर किसान लाभ कमा सकते हैं।
