बरेली: दूषित जल बना जहर, कैंसर से युवक की मौत
अमृत विचार, रामनगर। कहते हैं कि जल ही जीवन है, लेकिन रामनगर क्षेत्र के कई गांवों के लोगों के लिए यह स्लोगन गलत साबित हो रहा है। क्षेत्र में दूषित जल लोगों के लिए धीमा जहर साबित हो रहा है। ऐसा ही एक मामला रामनगर ब्लॉक के गांव रामनगर में सामने आया है। यहां एक …
अमृत विचार, रामनगर। कहते हैं कि जल ही जीवन है, लेकिन रामनगर क्षेत्र के कई गांवों के लोगों के लिए यह स्लोगन गलत साबित हो रहा है। क्षेत्र में दूषित जल लोगों के लिए धीमा जहर साबित हो रहा है। ऐसा ही एक मामला रामनगर ब्लॉक के गांव रामनगर में सामने आया है। यहां एक व्यक्ति की कैंसर से मौत हो गई। उसका इलाज दिल्ली में हो रहा था। परिजनों का कहना है कि दूषित जल के कारण युवक को कैंसर जैसी घातक बीमारी हुई है।
आंवला तहसील क्षेत्र के ब्लॉक रामनगर के गांव रामनगर में रहने वाले रमेश शर्मा (40) कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में हो रहा था। रमेश की मौत इलाज के दौरान हो गई। रमेश के परिजनों का कहना है कि गांव के कई नलों में दूषित जल आ रहा है, जिसे पीने से गांव के लोग बीमार हो रहे हैं। इससे पहले भी गांव में कई लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। रमेश की मौत के बाद से परिजनों में स्वास्थ्य विभाग और जल निगम के खिलाफ रोष है। रमेश की मेहनत के बल पर ही उनकी गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी। रमेश की मौत रविवार को हुई।

शिकायत के बाद भी अनजान बना सिस्टम
गांव के लोगों ने बताया कि रमेश ही नहीं गांव के कई लोग दूषित जल पीने से बीमार हो चुके हैं। वहीं कई लोगों की कैंसर जैसी घातक बीमारी से मौत हो चुकी है। इसके बाद भी संबंधित विभागों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारी से लोगों की मौतें हो रही हैं। गांव के लोगों ने बताया कि शिकायत के बाद भी गांव के नलों का पानी भी चेक नहीं किया गया, जिससे पता चल सके कि कौन कौन से घातक तत्व यह बीमारी दे रहे हैं।
कुछ माह पूर्व 17 स्थान किए गए थे चिन्हित
कुछ माह पूर्व शासन के आदेश पर जल निगम ने बरेली जिले में पानी की जांच कराई गई थी। इनमें से 17 स्थानों पर नल आर्सेनिक परोस रहे हैं। इन नलों को नष्ट करने के निर्देश जारी हुए थे। यह नल नष्ट हुए या नहीं इसकी जानकारी संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी नहीं है। रिपोर्ट देने के बाद विभागीय अधिकारी भी शांत होकर बैठ गए।
भूरीपुर गांव के लोग भी जूझ रहे
आंवला क्षेत्र के गांव भूरीपुर में भी कैंसर से कई लोग जूझ रहे हैं। इसके बाद भी यहां के कई नलों में पानी की जांच नहीं की गई है। लोगों का कहना है कि जिले के करीब आधा दर्जन गांवों में नल जल के नाम पर धीमा जहर परोस रहे हैं। इसकी शिकायत भी कई बार की जा चुकी है। लेकिन अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि यह मामला अखबारों में सुर्खियां बना था।
अदालत तक पहुंचा है मामला
लोगों की माने तो यह मामला हाई कोर्ट में भी किसी समाजसेवी ने दायर किया था। कोर्ट के आदेश के बाद भूरीपुर गांव में जांच कराने की कवायद शुरू हुई थी। एक दो नलों की जांच करने के बाद अधिकारियों ने रिपोर्ट शासन को भेज दी। इसके बाद मामला शांत हो गया। हालांकि अब भी कई नलों में पानी में ऐसे तत्व मिल रहे हैं, जिनसे कैंसर, गुर्दा, आंतों से संबधित बीमारियों के होने का खतरा बना है।
किट बनी नमूना
ग्राम प्रधानों को गांवों में पानी की जांच करने के लिए किट दी गई थीं, लेकिन ये किटें मात्र शोपीस बनकर रह गई हैं। कई प्रधानों ने तो इनका इस्तेमाल भी नहीं किया। कुछ लोगों ने किया भी लेकिन जानकारी के अभाव में जांच कायदे से नहीं हो सकी। अब हालात यह है कि जांच के लिए खरीदी गई करोड़ों रुपये की यह किटें अब बेकार हो चुकी हैं। इस ओर न तो डीपीआरओ ने ध्यान दिया और न ही संबंधित ब्लॉकों के अधिकारियों ने।
कैंसर जल के अलावा अन्य कारणों से भी हो सकता है। फिलहाल यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। गांव में पानी की जांच कराई जाएगी। इसके लिए जल निगम के अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा। मृतक के परिजनों की ओर से भी कोई ऐसी शिकायत नहीं मिली है। यदि शिकायत मिलती है तो निश्चित रूप से जांच कराई जाएगी। -डॉ. सुधीर गर्ग
