बरेली: देशी गाय चाहिए तो हरियाणा-पंजाब जाना पड़ेगा
बरेली, अमृत विचार। किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। इसी क्रम में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशी गाय पालन पर भी जोर दिया जा रहा है। लेकिन मंडल में एक भी ऐसा फार्म नहीं है, जहां किसान देशी गायों की खरीद कर …
बरेली, अमृत विचार। किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। इसी क्रम में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशी गाय पालन पर भी जोर दिया जा रहा है। लेकिन मंडल में एक भी ऐसा फार्म नहीं है, जहां किसान देशी गायों की खरीद कर सकें। जबकि प्रदेश स्तर पर इसको लेकर लंबे समस से कवायद चल रही है। देशी गाय खरीदने के लिए हरियाणा या फिर पंजाब राज्य का रुख करना पड़ता है। ऐसे में प्रदेश सरकार की जीरो बजट और प्राकृतिक खेती योजना इन दिनों सवालों के घेरे में है।
यह आलम तब है, जब पिछले साल दो दिवसीय दौरे पर बरेली पहुंचे कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डा. वल्लभभाई कथीरिया ने आईवीआरआई में उपेक्षित गोधन अर्थव्यवस्था पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में देशी गाय पालन पर जोर देते हुए इसके गोमूत्र और गोबर के महत्व को बताया था। लेकिन स्थानीय स्तर पर किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। उनको देशी गाय खरीदने को बाहरी राज्यों को जाना पड़ रहा है।
क्या है जीरो बजट खेती
जीरो बजट खेती का मतलब है कि किसान जो भी फसल उगाए, उसमें फर्टिलाइजर, कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित करना चाहती है। प्राकृतिक खेती में किसान रासायनिक खाद के स्थान पर खुद जानवरों के गोबर से खाद बनाते हैं। जो गाय-भैंस के गोबर, गोमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिट्टी व पानी से बनती है। इस खेती में रासायनिक कीटनाशकों की जगह नीम और गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। इससे फसल में रोग लगने की संभावना बेहद कम होती है।
देशी गाय से ही संभव है जीरो बजट खेती
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि देशी गाय से पूरी दुनिया में जीरो बजट की खेती संभव है। एक देशी गाय रोजाना औसतन 11 किलो गोबर करती है। इससे एक एकड़ जमीन में जीरो बजट की खेती करना संभव है। इस तरह 30 दिन के गोबर से 30 एकड़ जमीन में खेती हो सकती है। देशी गाय के गोबर व गोमूत्र से भू-पोषक द्रव्य ‘जीवामृत’ बनाने का तरीका भी किसान अपना सकते हैं।
सबसे ज्यादा दूध देने वाली देशी गाय
साहिवाल गाय मुख्य रूप से हरियाणा और मध्य प्रदेश में पाई जाती है। यह गाय गोमूत्र और गोबर के साथ-साथ अधिक दूध भी देती है। लाल सिंधी गाय देश में अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह गाय पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में पाई जाती हैं। जिले में इक्का-दुक्का पशुपालकों के पास यह गाय है। राठी गाय राजस्थान के गंगा नगर, बीकानेर और जैसलमेर इलाकों में पाई जाती है। इसका वजन लगभग 300 किलोग्राम तक होता है। लोग इस नस्ल को पालना चाह रहे हैं, ताकि उन्हें गोमूत्र व गोबर के साथ-साथ दूध भी अधिक मात्रा में मिल सके।
आसपास के जिलों में भी देशी गाय की खरीद-फरोख्त के लिए एक भी फार्म नहीं है। प्रदेश सरकार इस पर कुछ समय से मंथन कर रही है। भारतीय देशी नस्ल की गाय हरियाणा व पंजाब में मिल रही है। -ललित कुमार वर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
