मथुरा: वृन्दावन में प्रदेश का बड़ा सिटी फारेस्ट किया जा रहा है विकसित, जानिए इसके फाइदे

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मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में वृन्दावन के सुनरख गांव में 134 हेक्टाएयर भूमि में महर्षि सौभरि ऋषि की तपस्थली में प्रदेश का एक बहुत बड़ा वन क्षेत्र सिटी फारेस्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। कान्हा की नगरी में कभी 12 वन और 24 उपवन हुआ करते थे, जिसके कारण यहां का पर्यावरण सदैव …

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में वृन्दावन के सुनरख गांव में 134 हेक्टाएयर भूमि में महर्षि सौभरि ऋषि की तपस्थली में प्रदेश का एक बहुत बड़ा वन क्षेत्र सिटी फारेस्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। कान्हा की नगरी में कभी 12 वन और 24 उपवन हुआ करते थे, जिसके कारण यहां का पर्यावरण सदैव आदर्श रहता था। शहरीकरण की होड़ में धीरे-धीरे वन समाप्त होते गये जिसका प्रभाव यहां के पर्यावरण पर भी पड़ने लगा। वन की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, जिला प्रशासन ,वन विभाग एवं मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से सौभरि ऋषि के नाम से एक बहुत बड़ा क्षेत्र विकसित करने का निश्चय किया गया है।

ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने ऋग्वेद के ऋषि सौभरि ऋषि के बारे में बताया कि वृन्दावन के निकट कालिन्दी के तट पर रमणक नामक द्वीप में वे निवास करते थे जिसे आज सुनरख गांव कहा जाता है। इन्होंने यमुना जल के अन्दर डूबकर हजारों वर्ष तक तपस्या की थी। एक बार मछुआरो के मछली पकड़ने के दौरान वे उनके जाल में फंस गए थे। उन्हे बाहर निकालने पर मछुआरे घबड़ा गए थे। उन्होंने मछुआरों से कहा कि अब वे उनके जाल में फंस गए हैं अतः वे उन्हें बेच दें।

मछुआरों ने घबराकर इसकी सूचना वहां के राजा को दी। राजा की समझ में भी नही आया कि ऋषि को कैसे खरीदा जाय । इसके बाद ऋषि ने राजा को गाय देने का सुझाव देते हुए कहा कि गाय के रोम रोम में देवताओं का वास होता है। राजा ने बाद में ऋषि को गाय दी तो मछुआरों ने भी उन्हें काफी धन देकर स्वयं को धन्य किया।उनका मानना है कि ऐसे महान ऋषि के नाम पर बननेवाला सौभरि वन वृन्दावन को एक सुन्दर कलेवर देने में नई इबादत लिखेगा।

जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने आज पत्रकारों को सिटी फारेस्ट के बारे में बताया कि वृन्दावन के विकास और उसके प्राचीन स्वरूप की झांकी प्रस्तुत करने की दिशा में सौभरि वन को विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें 77 हजार विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों का पौधारोपण किया जाएगा। प्रारंभ में इसे कंटीले तार से घेरा जाएगा। इसके कई फायदे होंगे। एक ओर यह हरीतिमा का मॉडल बनेगा तो यह ”आक्सीजन डक्ट”के रूप में काम करेगा तथा धार्मिक पर्यटन को आकर्षित करेगा। यह बन्दरों तथा अन्य वन्य जन्तुओं का रहने का स्थान बनेगा।

चूंकि इसके अन्दर जलाशय भी बनेगा और पार्क भी बनेगा तथा चूंकि इसके एक ओर नहर तथा दूसरी ओर यमुना हैं अतः विकसित होने पर यह विदेशी पर्यटकों को भी लुभाएगा। जिलाधिकारी ने बताया कि सितम्बर में इस वन में लगभग ढ़ाई करोड़ खर्च करके वन विभाग द्वारा 77 हजार पौधों का पौधारोपण किया जाएगा।इसके बाद मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण द्वारा कंटीले तारों से इसे घेरा जाएगा। दूसरे चरण में जब ये पैाधे थोड़ा विकसित हो जाएंगे तो अन्दर एक जलाशय एवं एक पार्क बनाया जाएगा।

इस बीच मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नगेन्द्र प्रताप ने बताया कि यह क्षेत्र एक सिटी फारेस्ट के रूप में विकसित होगा तथा इसके तीसरे चरण में भी पार्क के साथ भ्रमण करने के मार्ग बनाए जाएंगे जिससे विदेशी और देशी पर्यटक वृन्दावन के इस रमणीक स्थल का आनन्द ले सकें। जिस प्रकार से चार सरकारी विभागों द्वारा मिलकर वृन्दावन को एक नया कलेवर देने के लिए सिटी फारेस्ट बनाया जा रहा है वह विकसित होने पर पर्यटन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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