बरेली: सम्मेलन के बहाने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में जुटी बसपा

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महिपाल गंगवार, अमृत विचार। मायावती विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी के लिए अपना पुराना फार्मूला लेकर मैदान में आ चुकी हैं। इसलिए दलितों के साथ ब्राह्मणों को साधने के लिए नई टीम भी बनाई जा रही है। संगठनात्मक ढांचें में बदलाव के लिए सोशल इंजीनियरिंग का उसी ‘मंत्र’ का प्रयोग किया जा रहा है जिससे …

महिपाल गंगवार, अमृत विचार। मायावती विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी के लिए अपना पुराना फार्मूला लेकर मैदान में आ चुकी हैं। इसलिए दलितों के साथ ब्राह्मणों को साधने के लिए नई टीम भी बनाई जा रही है। संगठनात्मक ढांचें में बदलाव के लिए सोशल इंजीनियरिंग का उसी ‘मंत्र’ का प्रयोग किया जा रहा है जिससे वर्ष 2007 का चुनाव सफल हुआ था और बसपा सुप्रीमो मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं। ऐसे में प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी के बहाने पार्टी एक बार फिर से ब्राह्मण समुदाय की ओर मुड़ी है और उन्हें पुराने शासनकाल की याद दिला रही है।

बहुजन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी में ब्राह्मणों के साथ हाल ही परंपरागत दलित वोटों को सहेजते हुए पिछड़े समाज पर अधिक फोकस किया। उन्होंने याद दिलाया कि प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी 13 प्रतिशत है। तीन करोड़ से अधिक ब्राह्मण हैं। ऐसे में यह समुदाय 2007 की स्थिति को दोहरा सकता है।

इधर, पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चुनाव में ब्राह्मण, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग को टिकट में बराबर की भागीदारी देते हुए अपने इस एजेंडे को आगे बढ़ाया था। इसी का असर रहा कि बहुजन समाजवादी पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रही थी और बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं थीं। बहरहाल, पार्टी फिर अपने उसी फंडे पर दोबारा चल पड़ी है।

इसलिए अब देखना दिलचस्प यह होगा कि बसपाइयों को इसमें कितनी सफलता मिलती है। इस कार्यक्रम में शंखनाथ, सुंदरकांड के श्लोक, श्रीराम मंदिर, परशुराम भगवान का जिक्र खूब हुआ। नारे लगे ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी लखनऊ जाएगा। हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश हैं। सतीश मिश्रा का स्वागत 51 किलों की फूल माला, गदा, तलवार, त्रिशूल, हाथी की भारी भरकम प्रतिमाएं देकर किया गया।

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