काबुल में अब भी फंसे हैं भारतीय, और इधर भारत में पढ़ाई कर रहे अफगानी छात्र चिंतित

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जामनगर/चंडीगढ़। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पैदा हुई परिस्थितियों के बीच मंगलवार को भारत लौटे वहां के राजदूत रुद्रेन्द्र टंडन ने कहा कि अब भी राजधानी काबुल में कुछ भारतीय हैं और एयर इंडिया वहां के हवाई अड्डे के चालू रहने तक अपनी व्यावसायिक सेवायें शुरू रखेगा। और इधर भारत में पंजाब के शिक्षण …

जामनगर/चंडीगढ़। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पैदा हुई परिस्थितियों के बीच मंगलवार को भारत लौटे वहां के राजदूत रुद्रेन्द्र टंडन ने कहा कि अब भी राजधानी काबुल में कुछ भारतीय हैं और एयर इंडिया वहां के हवाई अड्डे के चालू रहने तक अपनी व्यावसायिक सेवायें शुरू रखेगा। और इधर भारत में पंजाब के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर अफगान छात्र अपने देश में तालिबान के कब्जे के बाद अपने परिवारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

काबुल स्थित भारतीय दूतावास के कर्मियों समेत 140 भारतियों के साथ वायु सेना के विमान से गुजरात के जामनगर पहुंचे टंडन ने पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने ऐसी असामान्य परिस्थितियों में भी उन्हें और अन्य को स्वदेश वापस लाने के लिए वायु सेना के प्रति आभार प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर उच्चतम स्तर से रोज़-ब-रोज़ और मिनट-दर-मिनट नज़र रखी जा रही है और इसी के आधार पर उन्हें और अन्य भारतियों को वहां से वापस लाने की कार्रवाई की गई जिसमें दूतावास के निम्नतम स्तर के कर्मी से लेकर भारत सरकार के उच्चतम स्तर के व्यक्ति तक की भूमिका थी। टंडन ने कहा कि वहां स्थिति बहुत जटिल और प्रवाहमान है और अफगानिस्तान का इस्लामिक गणराज्य अब अस्तित्व में नहीं है। यह पूछे जाने पर कि ऐसे कितने भारतीय हैं, उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश वहां ऐसे लोगों ने अपना पंजीकरण नहीं कराया है।

अफगानिस्तान जैसे देशों में जहां राजनीतिक परिस्थितियां तेज़ी से बदल जाती हैं, भारतीय नागरिकों का ख़ुद को दूतावास में पंजीकृत करना ज़रूरी है। श्री टंडन ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या 50 तक हो सकती है पर वह आधिकारिक तौर पर इस संख्या की पुष्टि नहीं कर सकते क्योंकि उनका कोई डाटा दूतावास में पंजीकृत नहीं है।

चंडीगढ़ में अध्ययन कर रहे हैं 250 से अधिक छात्र
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में पढ़ाई कर रहे अफगान छात्र नूर अली नूरी ने मंगलवार को कहा कि पिछले कुछ दिनों से हमारी रातों की नींद उड़ी हुई है। हमारे परिवार हालांकि अभी तक सुरक्षित हैं, लेकिन हमारे देश में हो रहे घटनाक्रमों के चलते बुरी तरह डरे हुए हैं। उसने कहा कि हालांकि इस्लाम हिंसा में विश्वास नहीं करता, लेकिन तालिबान लोगों से अपना एजेंडा मनवाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करता रहा है।

रविवार को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से कुछ देर पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद अफगानिस्तान का भविष्य अनिश्चितता की स्थिति में है। अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अफगान छात्रों ने अपने देश में शांति बहाली में मदद करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील भी की। पीएयू में पीएचडी कर रहे एक अन्य अफगान छात्र अहमद मुबाशेर ने कहा कि वह तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर चिंतित है।

अफगानिस्तान के बागलान प्रांत निवासी मुबोशर (32) ने कहा कि वह अपने परिवार के लगातार संपर्क में है। उसने कहा कि अफगानिस्तान में रह रहे उसके साथी देश छोड़ना चाहते हैं। उसने बताया कि लुधियाना स्थित पीएयू में 11 अफगान छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। मोहाली स्थित चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे अफगान छात्रों ने भी अपने देश की स्थिति पर चिंता जताई। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में 250 से अधिक अफगान छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

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