हल्द्वानी में बनाया गया प्रदेश का पहला पाम गार्डन
हल्द्वानी, अमृत विचार। वन अनुसंधान संस्थान ने पाम प्रजातियों के पौधों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के मकसद से हल्द्वानी में प्रदेश का पहला पाम गार्डन बनाया है। इस गार्डन में उत्तराखंड के साथ-साथ अमेरिका की कुछ प्रजातियों को भी संरक्षित किया गया है। रविवार को रामपुर रोड स्थित वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में बनाए गए पाम …
हल्द्वानी, अमृत विचार। वन अनुसंधान संस्थान ने पाम प्रजातियों के पौधों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के मकसद से हल्द्वानी में प्रदेश का पहला पाम गार्डन बनाया है। इस गार्डन में उत्तराखंड के साथ-साथ अमेरिका की कुछ प्रजातियों को भी संरक्षित किया गया है।
रविवार को रामपुर रोड स्थित वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में बनाए गए पाम पार्क का शुभारंभ वन अनुसंधान के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) संजीव चतुर्वेदी और कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. ललित तिवारी ने किया।

सीसीएफ चतुर्वेदी ने बताया कि साल 2018 में वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में तीन एकड़ भूमि में पाम गार्डन का काम शुरू हुआ था। तीन साल बाद 2021 में यह गार्डन बनकर तैयार हुआ है। कैंपा योजना में 16 लाख रुपए की लागत से यह गार्डन तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि पाम गार्डन में अमेरिका की विदेश प्रजाति समेत भारत के तमिलनाडु, केरल, हैदराबाद की 100 से ज्यादा प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
इस नर्सरी में सिर्फ पिथौरागढ़ और चकराता में पाई जाने प्रजातियों को रोपा गया है। गार्डन में प्रत्येक प्रजाति का नाम, वनस्पति नाम, महत्व और फायदे डिस्प्ले बोर्ड के जरिए दिखाए गए हैं। इसके अलावा कविताओं के जरिए इनके संरक्षण का संदेश दिया गया है।
20 अतिदुर्लभ प्रजातियों को भी किया गया है संरक्षित
पाम गार्डन में 20 संकटाग्रस्त प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। इनमें छह प्रजातियों तो आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) लिस्ट में हैं जबकि बाकी प्रजातियां अति दुर्लभ, दुर्लभ और संकटाग्रस्त हैं।
चारा-भोजन से रोग में औषिध तक में होता है इस्तेमाल
- पाम प्रजातियों का जैव विविधता के साथ-साथ मानव के लिए भी उपयोगी हैं।
- ताड़ के पेड़ में पाई जाने वाले फल नारियल, खजूर, सुपारी का खाद्य की तरह प्रयोग होता है।
- पाम वाइन में भी इनका इस्तेमाल होता है।
- ताड़ के फल-फूल व अन्य पदार्थ घरेलू व बाहरी साज सज्जा में भी प्रयोग किए जाते हैं।।
- मानसिक रोग, महिला रोग, पेट आदि के रोगों में भी ताड़ का प्रयोग होता है।
वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में तीन एकड़ भूमि में प्रदेश का पहला पाम गार्डन बनाया गया है। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा पार्क है। इसमें पाम प्रजाति की 100 से ज्यादा प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। इसमें डिस्प्ले बोर्ड और कविताओं के जरिए इनके महत्व के बारे में बताया गया है ताकि लोग इनका संरक्षण एवं संवर्द्धन करें।-संजीव चतुवेर्दी, मुख्य वन संरक्षक, वन अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी
