बरेली: चेहल्लुम का त्योहार भी घरों में मनाया, नहीं निकले जुलूस

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बरेली, अमृत विचार। पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना वैश्विक महामारी के चलते मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मंगलवार को इमाम हसन हुसैन की शहादत की याद में चेहल्लुम का त्योहार अपने-अपने घरों में मनाया। अकीदतमंदों ने त्योहार को भाईचारे व शांतिपूर्ण तरीके से मनाया। इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय ने अपने-अपने घरों …

बरेली, अमृत विचार। पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना वैश्विक महामारी के चलते मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मंगलवार को इमाम हसन हुसैन की शहादत की याद में चेहल्लुम का त्योहार अपने-अपने घरों में मनाया। अकीदतमंदों ने त्योहार को भाईचारे व शांतिपूर्ण तरीके से मनाया। इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय ने अपने-अपने घरों में फातेहा खानी की। इस बार भी शहर में सभी तरह के जुलूस निकलने पर कोरोना के चलते पाबंदी थी। इमाम हुसैन वा बहत्तर कर्बला के चेहल्लुम पर निकलने वाले जुलूस कोविड गाइडलाइन के चलते नहीं निकाले गये।

मोहल्ला लखीरा कमाल हसन नकवी, मोहल्ला जखीरा जुर्रियत हुसैन काजमी से निकलने वाले जुलूस इस लगातार दूसरी बार कोविड 19 के चलते नहीं निकाले गये। एक मजलिस कमाल हसन नकवी के इमामबाड़े में मौलाना समर हैदर आब्दी ने पढ़ी। दूसरी मजलिस इमामबाड़ा जुर्रियत हुसैन काजमी में शाहनवाज हुसैन काजमी की ओर से हुई। इस तरह इमामबाड़ा, वसी हैदर, हकीम आगा साहब, गुलाम मुहम्मद आब्दी, नवाब ताव्वुर अली खां और बाघ मे नौहा ख्वानी हुई।

काला इमामबाड़ा में मज्लिस मातम हुआ। खुदा हाफिज खुदा हाफिज ए कर्बला वालों, गर जिये तो अगले बरस फिर हम है और ये गम है, जो चल बसे तो अपना सलाम-ए आखिर है। ऑल इंडिया गुल्दस्ता-ए हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया कि किसी तरह का कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया। मुतावल्ली जमीर रजा बौवी ने बताया कि कर्बला में अजादारों ने ज्यारत की और अपने पुरखों की कब्र पर फातेहा पढ़ी। वहीं किला स्थित बाकरगंज कर्बला में लोगों ने जाकर रोशनी कर इमाम हुसैन को याद किया।

इमाम हुसैन की याद में खानकाहे नियाजिया में सजी महफिल
चेहल्लुम के मौके पर एवान-ए-नियाजिया में इमाम हुसैन की महफिल का आयोजन किया गया। यह सिलसिला सोमवार की पूरी रात चलता रहा। मंगलवार सुबह से नजरो नियाज का सिलसिला जारी रहा। जिसकी सदारत कासिम मियां नियाजी ने की। महफिल का आगाज कुरान पाक की तिलावत से किया गया फिर नाते पाक पेश की गयीं।

डा. कमाल मियां नियाजी ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत पर सिर्फ मुसलमान व आम इन्सान ही नहीं बल्कि तमाम अम्बिया अलैहिस्सलाम फखर करते हैं। क्योंकि इमाम की शहादत यह बताती है कि झूठ व बेदीन और जालिम के आगे कभी सर नहीं झुकाना चाहिए फिर चाहें हमें कितनी बड़ी कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े। इस मौके पर अम्मार मियां नियाजी, सय्यद मुबारक अली नियाजी, फखरी मियां नियाजी, हमजा मियां नियाजी, अफसर नियाजी, मुत्तकी मिंया, हाफिज साजिद नियाजी ने अपने कलाम पेश किए।

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