बाल शोषण पर कार्रवाई
देश में ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार देशभर में हो रहे बाल शोषण और बाल यौन शोषण को रोकने के लिए कदम उठा रही है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मंगलवार को बाल शोषण मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के …
देश में ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार देशभर में हो रहे बाल शोषण और बाल यौन शोषण को रोकने के लिए कदम उठा रही है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मंगलवार को बाल शोषण मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 76 स्थानों पर छापेमारी की।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में छापेमारी कर तलाशी ली जा रही है। भारत में बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार के खिलाफ सबसे प्रमुख कानून 2012 में पारित यौन अपराध के खिलाफ बच्चों का संरक्षण कानून है। सीबीआई ने रविवार को 23 मामले इसी के तहत दर्ज किए है।
देश में बच्चों के प्रति यौन हिंसा पर डेटा दुर्लभ है और यह मुख्यत: मामलों की रिपोर्टिंग पर आधारित है। इसका मतलब यह है कि आंकड़े समस्या की भयावहता को कम करके दर्शाते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों की रिपोर्ट नहीं की जाती। रिपोर्ट किए गए मामलों से पता चलता है कि यौन शोषण करने वाले मुख्य रूप से पुरुष होते हैं और वे अक्सर बच्चों के जानकार होते हैं।
बाल यौन शोषण का दायरा केवल बलात्कार या गंभीर यौन आघात तक ही सिमटा नहीं है बल्कि बच्चों को इरादतन यौनिक कृत्य दिखाना, अनुचित कामुक बातें करना, गलत तरीके से छूना, जबरन यौन कृत्य के लिए मजबूर करना, प्रलोभन देना चाइल्ड पोर्नोग्राफी बनाना आदि बाल यौन शोषण के अंतर्गत आते हैं। हिंसा, दुर्व्यनवहार और शोषण के सभी प्रकारों का बच्चों के जीवन पर दीर्घावधिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे न तो मजबूत प्रतिरोध कर पाते हैं और न हीं उनमें यौन चेतना का विकास होता है। जिससे वे ऐसे अपराधियों के लिए ‘सरल निशाना’ बन जाते हैं।
हालांकि ऐसे पीड़ित बच्चों में लड़के एवं लड़कियां दोनों निशाना बनते हैं, लेकिन सामान्यतः इसमें लड़कियों का अनुपात अधिक होता है। देश में बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार के खिलाफ व्यापक कानूनी ढांचा है। त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालत का भी प्रावधान है। कितु तकनीकी चूक तथा इनके कार्यान्वयन में अनियमितता, त्वरित कार्रवाई न होने के कारण घटनाएं होती हैं। इस पर रोक के लिए सजगता एवं जागरूकता जरूरी है।
लाकडाउन में बच्चों का झुकाव इंटरनेट की तरफ बढ़ गया था। अब जब लाकडाउन खत्म हो गया है तब भई बच्चों का ऑनलाइन दुनिया के प्रति झुकाव नहीं कम नहीं हुआ है। अभिवावकों को इस बात पर नजर रखनी रखनी चाहिए कि उनके बच्चे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं, और बच्चों को सिखाया जाए कि इंटरनेट पर क्या सुरक्षित है और क्या नहीं।
