कानपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध से 80 हजार वाहनों की रफ्तार में लगी ब्रेक

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कानपुर। जिले के 8० हजार वाहनों की रफ्तार ब्रेक लग गया है। दिन भर शहर की सड़कों पर फर्राटा भरने वाले सीएनजी वाहनों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है। रूस-यूक्रेन के युद्ध में यदि जल्द ही निर्णायक मोड़ नहीं आया तो शहर में दौड़ने वाले सीएनजी वाहनों की संख्या आधी हो जाएगी। युद्ध …

कानपुर। जिले के 8० हजार वाहनों की रफ्तार ब्रेक लग गया है। दिन भर शहर की सड़कों पर फर्राटा भरने वाले सीएनजी वाहनों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है। रूस-यूक्रेन के युद्ध में यदि जल्द ही निर्णायक मोड़ नहीं आया तो शहर में दौड़ने वाले सीएनजी वाहनों की संख्या आधी हो जाएगी।

युद्ध लंबा खिचने की आशंका के मद्देनजर कतर ने प्राकृतिक गैस का उत्पादन घटा दिया है। कतर भारत का मुख्य गैस निर्यातक है। मिडिल ईस्ट के अन्य देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक और ईरान ने भी गैस का उत्पादन घटा दिया है। इस वजह से भारत को किसी अन्य देश से भी गैस मिलने की उम्मीद खत्म हो गई है। शहर के सीएनजी वाहनों को प्रतिदिन 1.6० लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एससीएम) गैस की जरूरत पड़ती है। जबकि आपूर्ति महज 8० हजार एससीएम गैस की हो रही है। ऐसे में वाहनों की दौड़ आधी हो गई है।

थम रही कलपुर्जों की रफ्तार

शहर में 272 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को करीब 9० हजार एससीएम गैस की जरूरत है। इनकी भी जरूरत पूरी करने में सीयूजीएल नाकाम हो रहा है। इसका बड़ा कारण यह कि भारत ने भी युद्ध बढ़ने की आशंका में गैस का उत्पादन घटा दिया है। यही वजह है कि मांग के सापेक्ष व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को महज 7० एससीएम गैस की आपूर्ति की जा रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति तक ऐसी ही स्थिति बरकरार रहने की आशंका है।

बढ़ती कीमतों से हो रहे परेशान

गैस की तेजी से बढ़ती कीमतों ने भी लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। उत्पादन कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीएनजी की कीमत में 15 डॉलर तक का उछाल आ गया है। स्थिति बरकरार रही तो कीमतें आसमान छूने लगेंगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने का असर घरेलू बाजार में दिखाई देने लगा है। यही वजह है कि सीएनजी की मांग में भी 12 प्रतिशत तक की भारी कमी देखी जा रही है।

पीएनजी की कीमत आसमान पर, 53.5० रुपये बढ़े

सीयूजीएल इंडस्ट्री को देने के लिए गेल से पीएनजी खरीदता है। जबकि सरकार लोगों को सब्सिडी पर पीएनजी की आपूर्ति करती है। पहले पीएनजी की कीमत 56.5० रुपये थी। गेल ने कीमत बढ़ाई तो सीयूजीएल ने भी 1० पीएनजी की कीमत 53.5० रुपये बढ़ाकर 11० रुपये कर दी। सीयूजीएल के अधिकारी मांग में कमी आने का बड़ा कारण कीमतों में इजाफा मान रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमी होने की वजह से संकट कब दूर होगा यह कोई भी नहीं बता सकता। पंपों को आधी क्षमता से चलाया जा रहा है। गैस सभी वाहनों को दी जा रही है। पहले रात में सन्नाटे में रहने वाले पंपों पर देर रात भी लोगों की लाइन देखी जा रही है…नवीन सिह, सीनियर मैनेजर, मार्केटिग, सीयूजीएल।

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