कालाढूंगी: मौसम की मार से लीची का स्वाद हुआ फीका

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कालाढूंगी, अमृत विचार। मौसम की मार ने लीची, आम के काश्तकारों और ठेकेदारों के माथे पर इस बार बल ला दिया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार लीची की फसल प्रभावित हुई थी, जिस कारण लीची में बौर बहुत कम आया। वहीं अभी तक आए तीन तूफानों ने रही सही कसर पूरी कर …

कालाढूंगी, अमृत विचार। मौसम की मार ने लीची, आम के काश्तकारों और ठेकेदारों के माथे पर इस बार बल ला दिया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार लीची की फसल प्रभावित हुई थी, जिस कारण लीची में बौर बहुत कम आया। वहीं अभी तक आए तीन तूफानों ने रही सही कसर पूरी कर दी है। इस बार मौसम की मार ने लीची का स्वाद फीका कर दिया है।

विकासखंड में 350 हेक्टेयर में आम और लीची की फसल होती है। इसमें कोटाबाग, बैलपड़ाव, कालाढूंगी व चकलुवा के ग्रामीण क्षेत्र आते हैं। यहां की लीची स्वाद के लिए मशहूर है जिसकी डिमांड मुंबई, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में रहती है। लेकिन इस बार मौसम की मार ने लीची का स्वाद फीका कर दिया है।

काश्तकार रुद्र देउपा, महेंद्र अटवाल, हरीश अटवाल, कैप्टन लक्ष्मण सिंह देउपा, चरनजीत, सनी, रामू अटवाल, संतोष कोहली, रामसिंह सावत, कैप्टन मोहन खोलिया, कुंदन देउपा, दीवान बसेड़ा, विपिन जोशी, बहादुर खोलिया, आनंद सिंह बिष्ट, प्रताप सिंह बिष्ट, राम सिंह बोरा, रवि बोरा, कमलेश देउपा आदि ने बताया कि इस बार जहां लीची की पैदावार कम हुई है, वहीं तीन बार आ चुके तूफान ने उत्पादन को और ज्यादा प्रभावित कर दिया है। तूफान में बची हुई लीचियों में आपसी रगड़ लगने से फल काला पड़कर खराब हो रहा है।

ब्लॉक प्रमुख रवि कन्याल, क्षेत्र पंचायत सदस्य वीरेंद्र कुमार ने सरकार से काश्तकारों को जल्द मुआवजा देने की मांग की है। उद्यान विभाग के अधिकारी श्यामलाल ने बताया की लीची, आम, कटहल को भारी नुकसान हुआ है। नुकसान की रिपोर्ट जल्द बनाकर शासन को भेजी जाएगी।

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