बलिया में रेफरल सेंटर बनकर रह गये सीएचसी और पीएचसी अस्पताल

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बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जब लोगों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी जिला अस्पताल पर ही निर्भर है तो ब्लॉक और कस्बों में बनाई गईं गईं सीएचसी और पीएचसी आखिर किस काम की हैं। यह सवाल वह हर व्यक्ति करता है, जो ग्रमीण इलाकों में स्थापित अस्पतालों पर इलाज के लिए पहुंचता है। …

बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जब लोगों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी जिला अस्पताल पर ही निर्भर है तो ब्लॉक और कस्बों में बनाई गईं गईं सीएचसी और पीएचसी आखिर किस काम की हैं। यह सवाल वह हर व्यक्ति करता है, जो ग्रमीण इलाकों में स्थापित अस्पतालों पर इलाज के लिए पहुंचता है। जिले के कोने-कोने से लोगों को सीधे सदर अस्पताल ही पहुंचाया जाता है।

जानकारी के मुताबिक पूरे जिले में कहने को तो करीब 17 सामुदायिक और 66 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 100 से अधिक है। वहीं सभी अस्पतालों पर कागजों में डॉक्टरों और कर्मचारियों की तैनाती भी है। लाखों रुपए की दवाओं की आपूर्ति भी हर महीने ग्रामीण अस्पतालों में होती है। बावजूद इसके देहात के सरकारी अस्पतालों की हालत ठीक नहीं है।

दरअसल, गांव-गिरांव में जगह-जगह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने का सरकार का उद्देश्य बड़ा ही सकारात्मक था। शासन की मंशा यह थी कि रोगियों और घायलों को आसपास ही इलाज संभव हो सके। इसके लिए भारी संख्या में अस्पतालों की व्यवस्था करने के साथ ही वहां पर चिकित्सकों और कर्मचारियों की तैनाती की गई।

इस संबंध में CMO डॉ. नीरज पांडेय का कहना है कि गंभीर रोगियों को ही रेफर करने का प्रावधान है। अगर शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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