पर्याप्त पोषण महत्वपूर्ण
समाज में महिलाओं के साथ पारंपरिक रूप से भेदभाव किया जाता रहा है। महिला-विषयक विभिन्न चिंताओं में से उनके अपर्याप्त पोषण का विषय भी एक प्रमुख चिंता है। महिलाओं और उनके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त पोषण बेहद महत्वपूर्ण है। जिन महिलाओं को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है, उनके गर्भावस्था के दौरान भी कुपोषित …
समाज में महिलाओं के साथ पारंपरिक रूप से भेदभाव किया जाता रहा है। महिला-विषयक विभिन्न चिंताओं में से उनके अपर्याप्त पोषण का विषय भी एक प्रमुख चिंता है। महिलाओं और उनके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त पोषण बेहद महत्वपूर्ण है। जिन महिलाओं को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है, उनके गर्भावस्था के दौरान भी कुपोषित रहने की आशंका बढ़ जाती है और इस बात का ख़तरा बढ़ जाता है कि वो सामान्य से कम वजन के बच्चे को जन्म देंगी। ऐसे बच्चे अविकसित रह जाते हैं और उनकी मानसिक क्षमता कमज़ोर होती है।
भारत में बालिकाओं को घरों के भीतर और बाहर दोनों ही जगह भेदभाव का सामना करना पड़ता है। असमानता का अर्थ है बालिकाओं के लिए असमान अवसर। देश में पांच वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की मृत्यु दर बालकों की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है। वैश्विक स्तर पर बालकों के लिए यह आंकड़ा 14 प्रतिशत अधिक है।
बालकों और बालिकाओं दोनों के कुपोषित होने की संभावना लगभग एक सी ही होती है। लेकिन बालिकाओं के लिए पौष्टिकता ग्रहण, गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही मामले में अपेक्षाकृत कम है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार किशोरावस्था जीवन का वह चरण है जो पोषकता के दृष्टिकोण से विशिष्ट मांग रखता है।
यद्यपि इस अवस्था के दौरान किशोर लड़के और लड़कियां दोनों ही भावनात्मक परिवर्तनों का सामना करते हैं, लेकिन लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक शारीरिक आवश्यकताओं का सामना करना पड़ता है और इसलिए उन्हें स्थूल एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को अधिक मात्रा में ग्रहण की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के आंकड़े एनएफएचएस-4 की तुलना में किशोर लड़कियों में एनीमिया में 5 प्रतिशत वृद्धि की पुष्टि करते हैं।
व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण, 2019 से पता चलता है कि महामारी के पहले भी किशोरों के बीच विविध खाद्य समूहों की खपत कम थी। ‘टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन’ के एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भारत में महिलाओं की आहार विविधता में 42 प्रतिशत की गिरावट आई। कुपोषण की समस्या के कई कारण हैं और इसलिए उससे निपटने के भी कई तरीके हैं।
समुदाय को सभी संभव उपायों पर विचार करना चाहिए और फिर तय करना चाहिए कि कौन से तरीके सर्वोतम हैं। टिकाऊ विकास के साथ जीवन बचाने और रहन-सहन के स्तर को सुधारने के लिए महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता है। वर्तमान परिदृश्य में सभी स्वास्थ्य संस्थानों, शिक्षाविदों और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबद्ध अन्य भागीदारों की ओर से एकीकृत और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
