कानपुर: शिव योग में कल होगी नाग देवता की पूजा, विभिन्न अखाड़ों में होगा कुश्ती का आयोजन

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कानपुर। नाग पंचमी का पर्व मंगलवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और धाता योग और शिव योग में मनाया जाएगा। घर- घर नाग देवता का पूजन होगा। मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाएगा। नागेश्वर मंदिर और बनखंडेश्वर मंदिर में प्रभु का बर्फ से श्रृंगार होगा तो मालरोड स्थित खेरेपति मंदिर में झांकियां सजाई जाएंगी। …

कानपुर। नाग पंचमी का पर्व मंगलवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और धाता योग और शिव योग में मनाया जाएगा। घर- घर नाग देवता का पूजन होगा। मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाएगा। नागेश्वर मंदिर और बनखंडेश्वर मंदिर में प्रभु का बर्फ से श्रृंगार होगा तो मालरोड स्थित खेरेपति मंदिर में झांकियां सजाई जाएंगी। मेले का आयोजन भी होगा। आचार्य पवन तिवारी के मुताबिक मंगलवार को नाग पंचमी पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से धाता योग बन रहा है। इसके साथ ही शिव योग की युति हो रही है। धाता और शिव योग में नाग देवता का दर्शन पूजन अति शुभकारी होगा।

महाभारत काल में पांडु पत्नी कुंती नाग कन्या थीं। दुर्योधन ने भीम को मारने के लिए विषैली खीर खिलाकर गंगा में छोड़ दिया था, लेकिन नाग देवता ने विष सोखकर उनकी रक्षा की थी। सर्प को दूध पिलाने की परंपरा प्राचीन काल से है। नाग को पितर व देवता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन काल सर्प योग का पूजन किया जाएगा। मैस्कर घाट, भगवत दास घाट, जूही, गोविंद नगर, गुजैनी आदि जगहों पर कुश्ती का आयोजन किया जाएगा।

इन मंत्रों से करें पूजन

काल सर्प दोष की शांति के लिए पीपल के नीचे, एक दोने में कच्चा दूध रखना चाहिए। घी का दीप जलाकर , कच्चा आटा , घी और गुड मिला कर लड्डू बनाना चाहिए और श्रद्धा पूर्वक पूजन करना चाहिए। ॐ अनंताय नमः ,ॐ वासुकाय नमः ,ॐ शंख पालाय नमः ,ॐ तक्षकाय नमः , ॐ कर्कोटकाय नमः, ॐ धनंजयाय नमः ,ॐ ऐरावताय नमः , ॐ मणि भद्राय नमः , ॐ धृतराष्ट्राय नमः व ॐ कालियाये नमः मंत्र का जाप करें।

महादेव पर बही, दूध की धारा

श्रावण मास के तीसरे सोमवार को शिवालायों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। रविवार की रात में 12 बजे से ही मंदिरों में भक्त नंगे पांव पहुंचने लगे। एक बजते- बजते मंदिरों में लंबी कतार लग गई। आनंदेश्वर मंदिर में महंतों और पुजारियों ने भगवान का दूध, दही, घृत, शहद, चंदन आदि से अभिषेक किया। भगवान का फूलों से सजाया गया और फिर पट दर्शन के लिए खोला गया। हर- हर महादेव के जयघोष से वातावरण गूंज उठा। हाथों में जल भरा लोटा, फूलों की डलिया लिए भक्त हर हाल में जल्द से जल्द प्रभु के दर्शन के लिए उतावले थे। सोमवार देर रात तक मंदिरों में दर्शन पूजन होता रहा।

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