अगर आप भी हैं घूमने के शौकीन, तो एक बार जरूर घूमें कानपुर के इन स्थलों पर
कानपुर। कानपुर को टूरिस्ट हब बनाने के लिए जिला पर्यटन संस्कृति परिषद का गठन किया जाएगा। यह पर्यटन स्थलों का विकास कराएगा। इसमें बिठूर का ध्रुव टीला, वाल्मीकि आश्रम, पेशवा महल, भीतरगांव के सूर्य मंदिर, बेहटा के जगन्नाथ मंदिर समेत कई मंदिरों और पुरातात्विक महत्व के स्थलों का सुंदरीकरण किया जाएगा। इनकी मार्केटिंग की जाएगी। …
कानपुर। कानपुर को टूरिस्ट हब बनाने के लिए जिला पर्यटन संस्कृति परिषद का गठन किया जाएगा। यह पर्यटन स्थलों का विकास कराएगा। इसमें बिठूर का ध्रुव टीला, वाल्मीकि आश्रम, पेशवा महल, भीतरगांव के सूर्य मंदिर, बेहटा के जगन्नाथ मंदिर समेत कई मंदिरों और पुरातात्विक महत्व के स्थलों का सुंदरीकरण किया जाएगा। इनकी मार्केटिंग की जाएगी।
बेहटा के जगन्नाथ मंदिर

बिठूर का ध्रुव टीला
ध्रुव टीला, बिट्ठुर में वह स्थल है जहां नन्हे बच्चे ध्रुव ने अपने बचपनकाल में एक पैर पर खड़े होकर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। ध्रुव ने अपन भक्ति से भगवान को प्रसन्न कर दिया था और फलस्वरूप एक अमर तारा बनने का दिव्य वरदान प्राप्त कर लिया। आज भी हम उत्तर दिशा में अटल तारे को ध्रुव तारे के नाम से जानते है, जो सदैव एकसमान चमकता है।
भीतरगांव के सूर्य मंदिर

भीतर गाँव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहाँ गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष उपलब्ध है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है। ईटों का बना यह मंदिर अपनी सुरक्षित तथा उत्तम साँचे में ढली ईटों के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसकी एक-एक ईट सुंदर एवं आर्कषक आलेखनों से खचित थी। इसकी दो दो फुट लंबे चौड़े खानें अनेक सजीव एवं सुंदर उभरी हुई मूर्तियों से भरी थी। इसकी छत शिखरमयी है तथा बाहर की दीवारों के ताखों में मृण्मयी मूर्तियाँ दिखलाई पड़ती है। इस मंदिर की हजारों उत्खचित ईटें लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
वाल्मीकि आश्रम
हिन्दुओं के लिए इस पवित्र आश्रम का बहुत महत्व है। यही वह स्थान है जहां रामायण की रचना की गई थी। संत वाल्मीकि इसी आश्रम में रहते थे। राम ने जब सीता का त्याग किया तो वह भी यहीं रहने लगीं थीं। इसी आश्रम में सीता ने लव-कुश नामक दो पुत्रों को जन्म दिया। यह आश्रम थोड़ी ऊंचाई पर बना है, जहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों को स्वर्ग जाने की सीढ़ी कहा जाता है। आश्रम से बिठूर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
जेके मंदिर पांडुनगर

विकास भवन या कलेक्ट्रेट में ऑफिस खोलने की तैयारी चल रही है। इसकी शुरूआत होने से पर्यटन और सांस्कृतिक स्थलों के प्रचार को बढ़ावा दिया जाएगा। निवेश के लिए लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। ताकि कानपुर को टूरिस्ट हब में बदलने के अलावा यहां की ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण सही से किया जा सके।
इस्कॉन टेंपल

परिषद के बनने से शहर और आसपास के ऐतिहासिक धरोहर और घूमे जाने वाले स्थान के संबंध में पर्यटकों को जानकारी मुहैया हो सकेगी। अफसरों के अनुसार पर्यटन स्थलों और सांस्कृतिक स्थलों का दौरा कर उन्हें और बेहतर किया जाएगा। जल्द ही इस संबंध में आलाधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।
मोतीझील और कारगिल पार्क बना पर्यटन हब

शहर में पर्यटकों को लुभाने के साथ स्थानीय लोगों को भी बेहतर घूमने के स्थान के लिए मोतीझील और कारगिल पार्क को विकसित किया गया है। मोतीझील पर शिवाजी द्वार, कारगिल पार्क में विभिन्न प्रकार के झूले और लोकलुभावन चित्रकारी बनाई गई है। इसके साथ ही जॉगिंग ट्रैक के साथ मंद मंद संगीत आकर्षण का केंद्र बना है। इसके साथ ही शहर के अन्य जगहों पर स्थित ऐतिहासिक स्थल को भी टूरिस्ट हब बनाने की तैयारी चल रही है।
कांच का मंदिर कमला टावर

खेरेश्वर मंदिर शिवराजपुर

एक नजर में टूरिस्ट क्षेत्र
भीतर गांव पूर्वाभिमुख मंदिर, खेरेश्वर मंदिर शिवराजपुर, कांच का मंदिर कमला टावर, जेके मंदिर पांडुनगर , गंगा बैराज नवाबगंज, मैस्कर घाट, चिड़ियाघर नवाबगंज, बहृमावर्त घाट, नानाराव पेशवा स्मारक, वाल्मीकी आश्रम, इस्कॉन टेंपल आदि।
