मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं : वीआईपी इलाके में समस्याओं का अम्बार, सबसे जरूरी पानी का भी अभाव

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लखनऊ, अमृत विचार । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नवाबों का शहर कहा जाता है। यहां की एक कहावत है कि मुस्कुराइए आप लखनऊ में है। लेकिन जब मूलभूत सुविधाओं का ही आभाव हो तो स्थानीय निवासी कैसे मुस्कुरायें,यह सवाल राजधानी के बहुत से वार्डों में लोग उठाते नजर आते हैं। आज भी ज्यादातर जगहों …

लखनऊ, अमृत विचार । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नवाबों का शहर कहा जाता है। यहां की एक कहावत है कि मुस्कुराइए आप लखनऊ में है। लेकिन जब मूलभूत सुविधाओं का ही आभाव हो तो स्थानीय निवासी कैसे मुस्कुरायें,यह सवाल राजधानी के बहुत से वार्डों में लोग उठाते नजर आते हैं। आज भी ज्यादातर जगहों पर सीवर, पानी, नाली, सड़क व साफ-सफाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं है।

वहां पर स्थिति और खराब है जो इलाके राजधानी के वीआईपी इलाकों में आते हैं। आज उन्हीं में से एक इलाके गोमती नगर स्थित विजय खण्ड में मौजूद जनसमस्याओं पर बात।

गोमती नगर वह इलाका है, जहां पर कई ऐसे अधिकारी रहते हैं,जो प्रदेश की जनता के लिए योनना बनाने तथा उसको लागू करने का काम करते हैं। वहां पर भी समस्याओं का अम्बार है और इतना ही नहीं समस्या ऐसी जिसका निदान आसानी से किया जा सकता है,उसके बाद भी लोगों को स्थायी निवारण नहीं मिल पा रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकारण ने करीब 30 साल पहले विजय खण्ड नाम की कालोनी बसाई थी। बताया यह जा रहा है कि एलडीए की सबसे पहली कालोनी यह ही थी। आज के समय में इस इलाके की आबादी 800 के करीब है।

लेकिन यहां के निवासियों को सीवर चोक होने तथा जलभराव की समस्या से आये दिन दो चार होना पड़ता है । बारिश के मौसम में कई घरों में पानी भरना और उससे होने वाली समस्या यहां के लोगों को हर वर्ष झेलनी पड़ती है। इसको लेकर कई बार शिकायत हुई,लेकिन समस्या जस की तस बनी हुयी है। इसके अलावा साफ-सफाई,पीने के पानी की समस्या भी काफी विकराल है। विजयखण्ड एक में पानी की कोई टंकी नहीं है। एक ट्यूबल के सहारे पर यहां के लोग अपना काम चला रहे हैं,बताया जा रहा है कि बहुत कम समय के लिए पानी आता है। जिससे स्थानीय लोगों की जरूरत पूरी नहीं होती। इस समस्या से निजात पाने के लिए स्थानीय लोगों ने उपमुख्यमंत्री से लेकर नगर निगम तक के अधिकारियों से शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं हुयी।

दरअसल,सीवर चोक होने तथा जलभराव का एक प्रमुख कारण उजरियांव गांव के सीवर को विजय खण्ड एक के सीवर से जोड़ा जाना है। इसके अलावा नाले व नालियां भी इसी तरफ खोली गयीं है,सोने पर सुहागा यह है कि उजरियांव

ऊंचाई पर स्थित है,जिससे पानी का बहाव विजय खण्ड की तरफ होता है। वहीं उजरियांव गांव की आबादी मौजूदा समय में 20 हजार से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के गंदे पानी की निकासी विजय खण्ड की तरफ से होती है,जो समस्या को और बढ़ा देता है। समस्या का समाधान एक ही बताया जाता है कि दोनों इलाकों का सीवर व नाला अगल-अलग हो तभी इन समस्याओं से निजात मिलेगी।

स्थानीय निवासी जे एस मिश्रा बताते हैं कि इस इलाके में पेय जल व साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं है। इसके अलावा वह बताते हैं कि इलाके में चोरी की कई घटनायें हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि पार्कों में छोटे बच्चों के साथ कुछ युवक आकर खेलते हैं,उसी दौरान घरों की रेकी करते हैं और वही बाद में चोरी की घटना को अंजाम देते हैं।

सुधा मालवीय बताती है कि कूड़े का निस्तारण,सीवर की साफ-सफाई का न होना,मार्ग प्रकाश की व्यवस्था का ठीक न होना इस इलाके की विशेष दिक्कत है।

कुसुम त्रिपाठी बताती हैं कि स्ट्रीट डॉग यहां पर बहुत हैं,जिसके वजह से छोटे बच्चे पार्क में खेल नहीं पाते हैं।

बी के श्रीवास्तव ने बताया कि जिन लोगों ने कुत्ता पाल रखा है,वह कुत्ता घुमाने के नाम पर गंदगी फैला रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कुत्ता पालने का शौक है,तो दूसरों के घर के सामने अथवा सड़क पर गंदगी क्यों फैलाते हैं। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

एल के मिश्रा ने बताया कि मूलभूत समस्या यहां की सीवर व जलभराव की है और यह समस्या तब तक बनी रहेगी,जब तक उजरियांव गांव का सीवर विजय खंड के सीवर से अलग नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि उजरियांव गांव के लिए अलग सीवर तथा नाले की व्यवस्था की जाये।

आभा अग्रवाल बताती हैं कि प्रेरणा पार्क में पानी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। साथ ही पार्क में बना रास्ता खराब हो गया है। इसके रखरखाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

डॉ.अनुराग त्रिपाठी बताते हैं कि यहां समस्या कई सारी है,लेकिन आवारा कुत्तों की वजह से दिक्कत कहीं ज्यादा होती है। इसके अलावा पार्क में लगे पेड़ों की डालियां तारों से छूती हैं जिससे करंट उतरने का भय बना रहता है। वहीं सड़कों पर कूड़ा फेका जाना भी बड़ी दिक्कत है।

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