कानपुर : रिंग रोड से जुड़ी भूमि खरीदने वालों पर प्रशासन की निगाह, मुआवजे को लेकर हो रहा बड़ा खेल

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कानपुर, अमृत विचार। रिंग रोड के लिए भूमि का अधिग्रहण जल्द ही शुरू हो जाएगा। फिलहाल सचेंडी से मंधना तक भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हो चुकी है। अब सचेंडी से रमईपुर, रमईपुर से रूमा, रूमा से उन्नाव के आटा, आटा से मंधना तक भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जल्द ही जारी हो जाएगी। जो …

कानपुर, अमृत विचार। रिंग रोड के लिए भूमि का अधिग्रहण जल्द ही शुरू हो जाएगा। फिलहाल सचेंडी से मंधना तक भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हो चुकी है। अब सचेंडी से रमईपुर, रमईपुर से रूमा, रूमा से उन्नाव के आटा, आटा से मंधना तक भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जल्द ही जारी हो जाएगी। जो अलाइनमेंट है उसके अनुसार अब कुछ लोग भूमि खरीदना चाहते हैं ताकि उन्हें अधिक मुआवजा मिल सके। ऐसे लोग दलालों के माध्यम से किसानों से बातचीत कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर प्रशासन की निगाह है।

93 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण हर हाल में 2023 में होना है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र और राज्य सरकार इसका निर्माण शुरू कराकर इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गिनाएगी। ऐसे में इस योजना में किसी तरह का भ्रष्टाचार न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। यही वजह है कि भूमि की खरीद फरोख्त पर प्रशासन की निगाह है। अधिसूचना जारी होने से पहले और बाद में जो लोग भूमि खरीदेंगे उनसे पूछताछ की जाएगी। अगर उनमें से किसी ने अधिसूचना के लिए चयनित भूमि की रजिस्ट्री कराई होगी तो यह जानने का प्रयास होगा कि कहीं उसे पहले से ही तो यह पता नहीं चल गया था कि भूमि अधिग्रहीत होने वाली है। भू अध्याप्ति विभाग , एनएचएआई के अधिकारियों के साथ ही कंसलटेंट के पास भूमि, भूमि स्वामी का विवरण होता है।

ऐसे में यह देखा जाएगा कि कहीं इनसे संबंधित किसी अधिकारी, कर्मचारी ने अपने रिश्तेदार या मिलने वालों को भूमि का विवरण तो नहीं दे दिया। अगर किसी की संलिप्तता सामने आएगी तो मुकदमा भी होगा। फिलहाल एनएचएआई ने जो विवरण उपलब्ध कराया है उसे बहुत ही गोपनीय रखा गया है। अब लोग अधिसूचना का समाचार पत्रों में प्रकाशन होगा तभी गांवों के बारे में जान पाएंगे और जब गाटा संख्यावार किसानों का विवरण दर्ज होगा तक उन्हें किसानों का नाम पता चलेगा। हालांकि कुछ लोगों की कोशिश है कि उन्हें विवरण मिल जाए और वे किसानों से भूमि खरीद लें। एडीएम भू अध्याप्ति सत्येंद्र सिंह का कहना है कि बिना प्रकाशन के कोई भी व्यक्ति किसान या भूमि का विवरण नहीं जा सकता है।

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