मैं गंगा हूं, मुझे भी शुद्ध रहने का अधिकार
बरेली, अमृत विचार। मै गंगा हूं, आदि-अनादि काल से बह रही हूं। मुझे भी शुद्ध रहने का अधिकार है। मेरे किनारे भी सुरक्षित बनें, ताकि मै युग-युगों तक शुद्ध रह सकूं। प्रकृति मुझे शुद्ध रखना चाहती है। केंद्र सरकार ने यही सोचकर नमामि गंगे परियोजना शुरू की ताकि मेरा जो भी आचमन करे, उसे सुकून …
बरेली, अमृत विचार। मै गंगा हूं, आदि-अनादि काल से बह रही हूं। मुझे भी शुद्ध रहने का अधिकार है। मेरे किनारे भी सुरक्षित बनें, ताकि मै युग-युगों तक शुद्ध रह सकूं। प्रकृति मुझे शुद्ध रखना चाहती है। केंद्र सरकार ने यही सोचकर नमामि गंगे परियोजना शुरू की ताकि मेरा जो भी आचमन करे, उसे सुकून के पल मिले लेकिन मुझे बचाने की मुहिम कागजों में दौड़ रही है। यह पीड़ा मां गंगा की है, जिसके पानी को अरसे से हम अशुद्ध करते आ रहे हैं।
अक्टूबर 2019 में गंगा नदी को लेकर महासर्वेक्षक भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून से निर्देश जारी हुए थे कि गंगा नदी के हिस्से के लिए उच्च संकल्प (डेम) एवं जीआईएस के आधार पर डाटाबेस तैयार कर मैप चार्ट्स फार्म के साथ उपलब्ध कराएं। बरेली में भी गंगा नदी के महत्वपूर्णनिर्देश को अनदेखा किया गया। शासन ने सख्त नाराजगी जताई। तब जिलाधिकारी नितीश कुमार ने इसे गंभीरता से लिया।
जनपद से बहकर जा रही गंगा नदी के हिस्सों का डाटाबेस तैयार कराने के अपर जिलाधिकारी प्रशासन को निर्देश जारी किए हैं। बताते हैं कि महासर्वेक्षक के डाटाबेस उपलब्ध कराने के पीछे खास मकसद है। गंगा नदी के किनारों के लिए उच्च संकल्प डेम एवं जीआईएस के आधार पर डाटा तैयार कराने के पीछे ग्राम सीमा संबंधी डाटा एकत्र करना है।
राज्य के सुल्तानपुर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद एवं बागपत को छोड़कर बरेली समेत सभी जनपदों के लिए राजस्व आयुक्त की ओर से उप भूमि व्यवस्था आयुक्त भीष्म लाल वर्मा की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें सूचना नहीं भेजने पर शासन को गंभीरता से लेने की बात कही है। बताया कि डाटाबेस का प्रयोग प्रशासनिक सीमा निर्धारण में पार्सल लेवल तक किया जाएगा। नदी हिस्सों का डाटा जल्द भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
