राम मंदिर तो आधा बन गया, लेकिन मस्जिद की जमीन पर ही संकट
इंदु भूषण पांडेय, अयोध्या। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए ठीक पांच दिन बाद तीन साल पूरा हो जाएगा। फैसला 9 नवंबर 2019 को आया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर विराजमान रामलला को मिली जमीन पर राममंदिर तो लगभग 50 प्रतिशत बन गया है। वहीं इसी फैसले के आधार पर सुन्नी …
इंदु भूषण पांडेय, अयोध्या। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए ठीक पांच दिन बाद तीन साल पूरा हो जाएगा। फैसला 9 नवंबर 2019 को आया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर विराजमान रामलला को मिली जमीन पर राममंदिर तो लगभग 50 प्रतिशत बन गया है। वहीं इसी फैसले के आधार पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए जो जमीन दी गई वह अभी चौतरफा झमेले में है। एक तरह से कहा जाए तो मस्जिद का काम अभी शून्य से आगे नहीं बढ़ा है। और तो और, प्रस्तावित मस्जिद का नक्शा पास कराने के लिए यहां अयोध्या विकास प्राधिकरण में आवेदन दिये दो साल हो गया। अब मस्जिद ट्रस्ट वालों को बताया गया कि यह जमीन कृषि उपयोग की है इस पर कोई निर्माण हो ही नहीं सकता।
मालूम हो कि बहुत लंबे समय तक अदालती विवाद में फंसे रहे अयोध्या मंदिर-मस्जिद मामले में 9 नवंबर 2019 को आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट से आया। और एक तरह से यह फैसला विराजमान रामलला के पक्ष में गया। मूल विवादित जमीन रामलला के नाम हो गई। इसी के बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तावित राम मंदिर के गर्भगृह पर मंदिर का शिलान्यास किया और अब तक राम मंदिर लगभग 50 प्रतिशत बनकर तैयार हो गया है।
वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अपने उसी फैसले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का फैसला करते हुए यह कहा था कि यह जमीन ‘एट दि प्रॉमिनेंट प्लेस ऑफ अयोध्या ’ यानि अयोध्या के मुख्य स्थान पर दी जाए। लेकिन यहां सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन अयोध्या जिले की सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में दी गई, जो मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है। जमीन मिलने के बाद एक अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट बनाया गया, जिसका नाम रखा गया “इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट”। इसका गठन 28 जुलाई 2020 को हुआ था। इस ट्रस्ट ने धन्नीपुर में मिली जमीन पर मस्जिद बनाने के लिए पूरे प्रोजेक्ट का एक नक्शा बनवाया, जिसके नक्शा नवीश हैं प्रो. एसएम अख्तर जो जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की आर्किटेक्चर फैकल्टी के डीन हैं।
इस प्रस्तावित मस्जिद का नक्शा मई 2021 में अयोध्या विकास प्राधिकरण में दाखिल किया गया और पांच लाख रुपये शुल्क के तौर पर भी जमा किया गया। इसी दौरान फायर ब्रिगेड की एनओसी विकास प्राधिकरण द्वारा नक्शा पास करने के लिए चाही गई। अग्निशमन विभाग ने यह कहकर के एनओसी देने से इन्कार कर दिया कि मस्जिद के लिए प्रस्तावित जमीन तक जाने के लिए रास्ता सिर्फ चार मीटर चौड़ा है, जबकि कम से कम 12 मीटर चौड़ा रास्ता होना चाहिए। यह सब मामला अभी चल ही रहा था कि एक नया पेंच विकास प्राधिकरण ने फंसा दिया।
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के ट्रस्टी अरशद अफजाल खान बताते हैं कि प्राधिकरण अब यह कह रहा है कि मस्जिद के लिए प्रस्तावित जमीन पर किसी भी निर्माण के लिए नक्शा इसलिए पास नहीं किया जा सकता क्यों कि वह जमीन कृषि उपयोग के तौर पर सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।
अरशद अफजाल कहते हैं कि अब प्राधिकरण यह कह रहा है कि जमीन का भू उपयोग (नवैय्यत) बदलने के लिए ट्रस्ट को पहले आवेदन करना होगा। जमीन आवासीय दर्ज होने के बाद ही इस पर किसी निर्माण के लिए नक्शा पास करने पर विचार किया जा सकता है। वह बताते हैं कि प्राधिकरण ने अब इस बावत आवेदन करने को कहा है। अरशद कहते हैं कि अब इन सब मामलों को लेकर ट्रस्ट के कोर कमेटी की बैठक शीघ्र होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि कैसे सारे अवरोधों से निजात पाते हुए शीघ्र से शीघ्र वहां पर मस्जिद व अन्य प्रस्तावित निर्माण शुरू कराया जा सके।
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