मेरठ: आठ साल से नहीं हुई FIR, क्राइम पर कैसे होगा वार!
मेरठ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश सरकार क्राइम को खत्म करने के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने के दावे कर रही है। लेकिन, मेरठ जिले की एक ऐसी रिपोर्टिंग चौकी है, जहां ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद पिछले आठ साल से एफआईआर दर्ज नहीं हुई। कम्प्यूटर और ऑपरेटर आठ साल बाद भी चौकी को मुहैया …
मेरठ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश सरकार क्राइम को खत्म करने के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने के दावे कर रही है। लेकिन, मेरठ जिले की एक ऐसी रिपोर्टिंग चौकी है, जहां ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद पिछले आठ साल से एफआईआर दर्ज नहीं हुई। कम्प्यूटर और ऑपरेटर आठ साल बाद भी चौकी को मुहैया न होने पर फरियादियों को दस किमी दूर थाने पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए जाना पड़ता है। कई बार स्थानीय लोग रिपोर्टिंग चौकी पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर चुके है।
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2014 तक होती थी एफआईआर
मेरठ जिले की लावड़ रिपोर्टिंग चौकी सालों पुुरानी है। जिले में लावड़ रिपोर्टिंग चौकी के अंतर्गत आने वाले कई गांव अतिसंवेदनशील माने जाते है। कोई घटना होने पर 2014 तक चौकी पर ही एफआईआर की व्यवस्था थी। लेकिन, कानून व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई। परंतु, यह प्रणाली रिपोर्टिंग चौकी लावड़ को रास नहीं आई। आलम यह है कि पिछले आठ साल से यहां कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। जिस कारण स्थानीय लोगों को दस किमी दूर इंचौली थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए जाना पड़ता है। इस मार्ग पर रात में सवारी नहीं चलती, जिस कारण फरियादियों को सुबह का इंतजार करना पड़ता है। यहीं, नहीं आर्थिक रूप से कमजोर लोग थाने तक भी नहीं पहुंच पाते।
2015 में आया था कम्प्यूटर, नहीं मिला ऑपरेटर तो हुआ वापस
एफआईआर ऑनलाइन दर्ज करने की व्यवस्था लागू होने के बाद शासन से लावड़ रिपोर्टिंग चौकी पर कम्प्यूटर सेट भेजा गया था। ताकि, ऑनलाइन एफआईआर दर्ज हो सके। परंतु, एक साल तक भी रिपोर्टिंग चौकी को ऑपरेटर नहीं मिला। जिस कारण कम्प्यूटर सेट को इंचौली थाने में भेज दिया गया। आलम यह है कि पुलिस अधिकारियों को इतने वर्ष बीतने के बाद भी रिपोर्टिंग चौकी के लिए ऑपरेटर नहीं मिल सका। क्षेत्र की आबादी की बात करें तो लावड़ कस्बे के अलावा चौकी क्षेत्र से 12 गांव जुड़े है। जिनमें, खरदौनी सबसे बड़ा गांव है और अतिसंवेदनशील भी है। आबादी की बात करें तो चौकी क्षेत्र पर लगभग 80 हजार से अधिक लोगों की जिम्मेदारी है। एफआईआर चौकी पर दर्ज नहीं होती। परंतु, जीडी लगातार चौकी पर चल रही है। ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने से पहले लावड़ रिपोर्टिंग चौकी को थाना बनाने का प्रस्ताव आया था। परंतु, दोनों बार लावड़ रिपोर्टिंग चौकी को निराशा ही हाथ लगी। चौकी लावड़ थाना तो नहीं बन सकी परंतु अब रिपोर्टिंग चौकी का अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा है।
क्या कहा पुलिस ने ?
प्रवीन चौधरी (चौकी इंचार्ज लावड़) ने कहा कि ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद इंचौली थाने पर ही मुकदमा दर्ज किया जाता है। हालांकि, जीडी चौकी पर ही चलती है। ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद थानों पर ही मुकदमा दर्ज करने के आदेश किए गए थे। दो बार थाना बनाने का प्रस्ताव लावड़ के लिए आया। परंतु, क्या कारण रहा इसकी जानकारी नहीं है।
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