समय के रंग...कड़कती आवाज और मूछों पर ताव वाले इकराम कुरैशी थे गुमसुम
सियासी सफर में घाट-घाट का पानी पीये हैं हाजी इकराम, 2022 के विधान सभा चुनाव में जमानत हुई थी जब्त
जिला कारागार के बाहर सुरक्षा बलों की निगरानी में खड़े कांग्रेस नेता हाजी इकराम कुरैशी।
आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। कड़कती आवाज जिनकी पहचान है। हर समय मूछों पर तॉव इनकी आदत का हिस्सा है। लेकिन, उस सियासी किरदार हाजी इकराम कुरैशी को बुधवार को जेल जाना पड़ा। जेल भेजने का निर्णय एमपी-एमएलए कोर्ट ने बिजली विभाग संग की गई धोखाधड़ी व गबन के तर्क को कानून के चश्मे से देखकर लिया है।
कुरैशी का बिजली प्रकरण कोर्ट द्वारा बुधवार को निर्णित किया गया। विधि विशेषज्ञों की मानें तो न्यायिक कसौटी पर चोरी से बिजली जलाने का आरोप इन पर सिद्ध हुआ है। गुमशुम भाव लिए कुरैशी ने कोर्ट के बाहर सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील के संकेत दिए।
अगर समय के अक्श पर देखें तो इकराम कुरैशी पर सात अंक की मार पड़ गयी है। 27 साल की राजनैतिक यात्रा में कुरैशी सात साल की कैद और अर्थदंड के भागी बनाए गए हैं। कुरैशी की सपाई राजनीति के डायरी के पन्ने बताते हैं कि उन्होंने फर्श से अर्श तक की यात्रा की है। 1995 में बहुजन समाज पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में सियासत में कदम रखा। यह दीगर है कि वह चुनाव नहीं जीत पाए। लेकिन, मेयर पद के तीन नंबर से लड़ाका साबित हुए। साल भर बीता कि वर्ष 1996 में पाला बदल लिया और समाजवादी पार्टी के सदस्य बन गए। साल 2000 में बिजली बिल में धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज हुआ था।
तीन बार जिलाध्यक्ष और सात बार महानगर अध्यक्ष के रूप में पहचान बनाने वाली कुरैशी को विधानसभा तक में जगह मिली। विधायक बने और सपा शासन काल में दर्जा राज्यमंत्री तक ओहदा मिला। 1996 से सात कार्यकाल तक महानगर अध्यक्ष रहे कुरेशी 1997 में सपा के प्रदेश सचिव भी बनाए गए। वर्ष 2008 में जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली तो 2014 में अध्यक्ष के साथ दर्जा राज्यमंत्री नामित कर दिए गए। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अध्यक्ष और दर्जा राज्यमंत्री कुरैशी को विधानसभा का उम्मीदवार बनाया। तब मुरादाबाद देहात की जनता ने चुनकर इन्हें विधानसभा में भेज दिया।
यह अगल बात है कि वरिष्ठ सपाई कुरैशी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अपना टिकट नहीं बचा पाए। टिकट कटने के बाद पाला बदल कर कांग्रेसी उम्मीदवार बन गए। उधर, देहात विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए निर्वतमान विधायक अपनी सीट नहीं बचा पाए। कुरैशी को जमानत के भी लाले पड़ गए। अगर इनकी राजनीतिक यात्रा को समझने का प्रयास करें तो 27 साल की इस यात्रा में तमाम उतार-चढ़ाव देखने वाले कुरैशी पर सात का अंक भारी पड़ गया। उन्हें कोर्ट ने सात साल के कैद की सजा सुनाई है।
न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। हम अपनी बात कहने उच्च न्यायालय में जाएंगे। बिजली प्रकरण की मामला पुराना था। एमपीएमएलए कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही थी। जिसमें यह निर्णय आया है। हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट में हम अपना पक्ष रखकर न्याय पाएंगे। -हाजी उबैद इकराम, पुत्र हाजी इकराम कुरैशी
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