गीता से मिलती है निष्काम कर्म की प्रेरणा :सीएम योगी

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Published By Jagat Mishra
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गीता जयंती समारोह में बोले मुख्यमंत्री

गोरखपुर, अमृत विचार। मानवीय जीवन की व्यवस्था में गीता वह पावन ग्रन्थ है जिससे क्षेत्र, भाषा, जाति, मत, मजहब से परे सभी लोगों को  निष्काम कर्म की प्रेरणा मिलती है। दुनिया में अनेक ग्रन्थ रचे गए लेकिन गीता युद्धक्षेत्र में भगवान के श्रीमुख से रचित वह ग्रन्थ है जो देश, काल, परिस्थितियों से ऊपर उठकर चराचर जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए अमर वाक्य बनकर प्रेरणा देने का सार्वभौमिक ग्रंथ है। 

यह कहना है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का। वह रविवार शाम गीता प्रेस में आयोजित गीता जयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुरूप गीता के मंत्रों को अंगीकार करता है। पर, वास्तव में गीता से हमें यह प्रेरणा प्राप्त होती है कि सभी समस्याओं का समाधान निष्काम कर्म करने से ही संभव है। यदि हम अपना काम स्वयं न करके या किए गए कार्य से अधिक की अपेक्षा करेंगे तो किसी न किसी दूसरे के हक पर डकैती होगी। 

भगवान ने गीता की रचना सिर्फ अर्जुन के द्वंद्व को समाप्त करने के लिए ही नहीं बल्कि समूची मानवता को  कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देने के लिए की थी। कारण, अर्जुन जैसी स्थिति सामान्य मनुष्य की भी होती है। पांच हजार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र में गीता के रूप में भगवान के श्रीमुख से दिव्य वाणी का प्रकटीकरण हुआ था तब वर्तमान आधुनिक सभ्यताओं का अस्तित्व भी नहीं था। सीएम योगी ने कहा कि निष्काम कर्तव्य के प्रति आग्रही होना वास्तव में भगवान का काम करने के समान है। यदि हम निष्काम कर्म की प्रेरणा से अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करने लगे तो दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान अपने आप ही होता दिखाई देगा। 
               
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