अब सौहार्द नगरी बन चुकी है अयोध्या, सभी मनाते हैं एक-दूसरे का पर्व
बाबरी विध्वंस की 30वीं बरसी कल, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
अमृत विचार, अयोध्या। समय के काल चक्र ने रामनगरी अयोध्या की तस्वीर और तासीर दोनों बदल दी है। अयोध्या को लेकर उठने वाला उन्माद तारीख के पन्नों में सिमट चुका है। दशक भर पहले छह दिसम्बर को लेकर जहां तनाव के बादल छा जाते थे वहीं अब आपसी सौहार्द और समन्वय की छटा छा जाती है। यह अलग बात है कि बाबरी विध्वंस की बरसी को लेकर रूटीन अलर्ट हो जाता है, लेकिन सब कुछ सामान्य रहता है। मंगलवार को बाबरी विध्वंस की 30वीं बरसी है, लेकिन दोनों जुड़वां शहरों में जिंदगी रोज की ही तरह चल रही है। शौर्य दिवस और यौमे स्याह जैसे आयोजन भी जुड़वां शहरों के सौहार्द को देख सकुचा कर सिमट चुके हैं।
लंबे समय तक कोर्ट में सुनवाई के बाद 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद अयोध्या में जहां भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है तो वहीं मस्जिद निर्माण की भी तैयारी भी चल रही है। छह दिसम्बर को अब न पैरामिलेट्री फोर्स के जवानों की बूटों की खट-खट सुनाई पड़ती है और न ही सायरन बजाती हुई पुलिस की गाड़ियां दौड़ती-भागती दिखाई देती है। यह दीगर बात है कि जिले भर में चौकसी और चेकिंग बढ़ा दी जाती है वह भी बस एहतियात के तौर पर। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने की घटना के बाद सुलगी आग को बदलते वक्त के पानी ने ऐसा ठंडा किया कि छह दिसम्बर की तारीख हर तारीख की तरह तारीख भर बन कर रह गई है। तेलीटोला के नसीम सिद्दीकी कहते हैं वक्त सबसे बड़ा मरहम है। हम सबने सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर माथे लिया अब कैसी छह दिसम्बर? कहते हैं आपसी भाईचारे से बड़ा कुछ नहीं है। हाजी अहमद खान कहते हैं जो बीत गया सो बीत गया, जख्मों को कुरेदने से क्या फायदा। नियावां के रमेश पाठक का कहना है कि अब सब कुछ सामान्य है। हम लोग ईद और दीपावली साथ-साथ मनाते हैं, कहीं कोई दुराव नहीं है। व्यापारी अशोक अग्रवाल कहते हैं कि राम मंदिर बन रहा है, मस्जिद के लिए भी भूमि उपलब्ध करा दी गई है। ऐसे में दोनों समुदायों के बीच अब कोई खाई क्या दरार तक नहीं है।
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अब हिंदू-मुसलमानों में कोई भेद नहीं :इकबाल अंसारी
बाबरी मस्जिद विवाद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या प्राचीन नगरी है। यहां पर देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। हर धर्म व हर जाति के देवी-देवता भी यहां पर विराजमान हैं। अयोध्या जैसी नगरी पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। यहां के लोग अपने-अपने धर्म और परंपरा के मुताबिक देवी-देवताओं के नाम लेते हैं। इसलिए अयोध्या पवित्र मानी जाती है। अयोध्या में कभी भी कोई भेदभाव नहीं रहा और ना ही आज है। सवाल 6 दिसंबर का है तो जो कुछ होना था वह हो चुका है। अब हिंदू और मुसलमानों में कोई मतभेद नहीं है। हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी ऐसा काम करें जिससे लोग एक दूसरे से मिल कर रहें।
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सभी आयोजनों को मिलजुल कर मनाते हैं :सत्येंद्र दास
रामलला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो मंदिर निर्माण के साथ मस्जिद निर्माण का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। मस्जिद निर्माण करने वाले ट्रस्ट के लोगों का कहना है कि मस्जिद के साथ मुफ्त इलाज करने के लिए एक चैरिटेबल हॉस्पिटल और कम्युनिटी किचन बनाया जाएगा, जिसमें गरीबों को मुफ्त भोजन भी मिल सकेगा और इलाज भी होगा। इस तरह से अयोध्या में भी कई मठ मंदिरों में प्रतिदिन तरह-तरह के भोजन को गरीबों के बीच वितरित किया जाता है। इस दौरान उनसे यह नहीं पूछा जाता है कि किस धर्म के हो। हमारे यहां किसी प्रकार का आयोजन किया जाता है तो इकबाल अंसारी भी पहुंचते हैं।
सीसीटीवी से हो रही निगरानी, वाहनों की ली जा रही तलाशी
बाबरी विध्वंस की 30वीं बरसी पर सुरक्षा सख्त कर दी गई है। अयोध्या आने वाले लोगों की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी भी हो रही है। एसपी सिटी मधुबन सिंह ने कहा कि पर्याप्त सुरक्षा बल लगाया गया है। सीओ स्तर के अधिकारियों की भी तैनाती की गई है। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता उत्पन्न न हो, इस पर ध्यान रखा जा रहा है। वाहनों की चेकिंग की जा रही है। 6 दिसंबर शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो, इस प्रकार से सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है। सोमवार को कोतवाली नगर व कैंट पुलिस ने सआदतगंज बाईपास पर सघन चेकिंग अभियान चलाया। सीओ सिटी शैलेंद्र सिंह के नेतृत्व में दो व चार पहिया वाहनों की चेकिंग हुई। अयोध्या धाम के एंट्री पॉइंट से गुजरने वाले सभी वाहनों को चेक किया गया।
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