राज्यसभा में उठा लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के मुआवजे में देरी का मुद्दा 

राज्यसभा में उठा लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के मुआवजे में देरी का मुद्दा 

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी और घायल किसानों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के उत्तर प्रदेश सरकार के आश्वासन को पूरा करने में विलंब का मुद्दा उठाया गया। राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी ने शून्यकाल के तहत उच्च सदन में यह मामला उठाया।

शून्य काल के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने बिहार में कथित तौर पर बढती अपराध की घटनाओं, देश भर में आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने और करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों सहित कई मुद्दे उठाए।

जयंत चौधरी ने लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों का एक साल बाद भी मुआवजा ना मिलने का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से इस दिशा में समुचित कदम उठाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि एक दिसंबर, 2021 को लखीमपुर नरसंहार ने देश के किसानों को झकझोर कर रख दिया था, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने आश्वासन दिया था कि घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा और चार मृतक किसानों के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक साल हो चुका है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। चौधरी ने इस दिशा में उचित कदम उठाने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि सरकार यदि वादे पूरे ना करे तो जनता क्यों उस पर विश्वास करे? आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं से जुड़े मुद्दे उठाते हुए पासपोर्ट और फीस के तौर पर 20 डॉलर की राशि अदा करने की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की।

उन्होंने श्रद्धालुओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को भी सरल किए जाने की मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि भारत सरकार इन मांगों के संदर्भ में पाकिस्तान की सरकार से बात करे और आवश्यक कदम उठाए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अशोक वाजपेयी ने वाहनों, बड़ी-बड़ी इमारतों और कारखानों में आगे लगने से जान व माल को होने वाले नुकसान पर चिंता जताते हुए सरकार से इन पर अंकुश लगाने के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में लोगों की जान तो जाती ही हैं, साथ ही अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान भी होता है। भाजपा के सतीश चंद्र दुबे ने बिहार में कानून व व्यवस्था का मुद्दा उठाया और दावा किया कि राज्य में हो रही अपराध की घटनाओं से जनता में भय का माहौल है।

उन्होंने इस दिशा में बिहार सरकार की विफलताओं का जिक्र करते हुए दावा किया कि राज्य में फिर से जंगल राज लौट आया है। इस दौरान जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल के कुछ सदस्यों ने उनका विरोध किया।

तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने विभिन्न बैंकों में जमा ऐसी राशियों का उल्लेख किया जिन पर ग्राहकों की मौत हो जाने के बाद किसी का दावा सामने नहीं आया हो।

उन्होंने कहा कि अगर कोई दावेदार है तो सरकार को प्रक्रियाओं में सुधार कर उसके हिस्से की राशि लौटाने की व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि जिन मामलों में दावेदार नहीं है तो उस राशि का इस्तेमाल सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में की जा सकती है।

भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव में विशाखापत्तनम को सूचना और प्रौद्योगिकी के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि विशाखापट्टनम में देश के एक प्रमुख आईटी केंद्र के रूप में उभरने की पूरी क्षमता है और इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकार को प्रयास करने चाहिए।

उन्होंने विशाखापत्तनम में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के विस्तार का मामला भी उठाया और कहा कि भूमि अधिग्रहण की वजह से यह परियोजना लटकी हुई है। द्रविड़ मुनेत्र कषगम के मोहम्मद अब्दुल्ला ने पुडुचेरी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन रिसर्च का एक केंद्र स्थापित किए जाने की मांग की।

राष्ट्रवादी कांग्रेस की वंदना चव्हाण ने जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रही प्राकृति घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि इस वजह से प्रत्येक साल बड़ी संख्या में जान व माल का नुकसान होता है। उन्होंने सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने और आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया। 

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