लखनऊ : अपनी बोली भाषा का उन्नयन एवं विकास करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है
अमृत विचार ,लखनऊ। हिंदी की समृद्धि हेतु क्षेत्रीय बोलियों में साहित्य सर्जन जरूरी है। गद्य साहित्य ही किसी बोली भाषा की कसौटी होता है। ये विचार अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रदीप सारंग ने शनिवार को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज विकास नगर में सात दिवसीय अवधी कहानी लेखन एवं अनुवाद कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए।
सारंग ने अपना उद्बोधन अवधी में ही दिया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी बोली भाषा का उन्नयन एवं विकास करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। प्रशिक्षण कार्यशाला का दीप जला कर शुभारंभ करते हुए कुसुम वर्मा प्रधानाचार्या राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ने कहां कि बोलियों के विलुप्त होने से हमारी संस्कृति और हिंदी पर संकट गहरा होता जा रहा है।
उन्होंने अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश द्वारा अवधी के उन्नयन हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की। इस अवसर पर पंकज कँवल सचिव अवधी अध्ययन केंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मैं स्थानीय बोलियों के विकास के प्रावधान से बोलियों का चौतरफा उत्थान सुगम हो सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अवधी अकादमी का गठन करके अवधी बोली भाषा के उन्नयन का द्वार खोल दिया है। अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राम बहादुर मिश्र के निर्देशन में संचालित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में करीब सात दर्जन छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर प्रवक्ता मनीषा सक्सेना, सीमा वर्मा, ममता निगम, राजकुमार सिंह आदि मौजूद रहे।
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