मुरादाबाद: जेल में क्षमता से पांच गुना कैदी ज्यादा

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Published By Priya
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संपूर्ण टीकाकरण में प्रदेश में प्रथम रही मुरादाबाद जेल, नए भवन निर्माण में लगेंगे दो साल

(शीशपाल सिंह चौहान) मुरादाबाद, अमृत विचार। जेल में बंद कैदियों की राहत की उम्मीद नहीं है। यहां क्षमता से पांच गुना कैदी बंद हैं। जेल के नए भवन निर्माण में कम से कम दो साल का समय लगेगा। निर्माण के लिए 96 एकड़ भूमि अधीग्रहीत तो कर ली गयी है। 45 करोड़ की लागत से सिरसखेड़ा में जेल का निर्माण होना है। 25 बैरक वाली जेल में मुरादाबाद के साथ अमरोहा, सम्भल के 3829 बंदी निरुद्ध हैं।
 
वैसे तो जिला कारागार ने भीड़ की समस्या के बाद भी वर्ष 2022 में कई कीर्तिमान स्थापित किए। सभी बंदियों को कोरोना वैक्सीनेशन का रिकार्ड बना। जबकि महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क बनाने में भी यह जेल प्रदेश में पहले स्थान पर रही। कारागार का निर्माण 1888 में हुआ था। तब 5.51 एकड़ में 25 बैरक वाली इस जेल की क्षमता मात्र 517 बंदियों की थी। बाद में इसे बढ़ाकर 717 कर दिया गया है। इस समय जिला कारागार में 3829 बंदी निरुद्ध हैं। इनमें 159 महिला और उनके साथ 14 बच्चे भी शामिल हैं। बंदियों को सोने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं मिलता। इस कमी को दूर करने के लिए 13 बैरकों में स्लैब का निर्माण कराया गया। 
 
जेल में मुरादाबाद अमरोहा और संभल के बंदियों को रखा जाता है। बंदियों की संख्या के हिसाब से जगह काफी कम है। यह जेल आबादी के बीच में भी है। इसलिए 2019 में प्रशासन ने नई जेल बनाने का निर्णय लिया था। इसके लिए मूंढापांडे थाना क्षेत्र के सिरसखेड़ा गांव में 96 एकड़ जमीन चिन्हित की गई। प्रशासन ने इस भूमि को किसानों से अधिग्रहीत भी कर लिया है। लोक निर्माण विभाग ने जेल निर्माण के लिए 45 करोड़ रुपये का आकलन बनाया था।

 नई जेल का प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है। योग दिवस पर 11 जून को कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल में महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क की नींव डाली थी। यह प्रदेश की चिल्ड्रन पार्क वाली पहली जेल है। बंदियों को आध्यात्म से जोड़ने का प्रयास भी किया गया। इसके लिए जेल में सुबह शाम गायत्री मंत्र बजाया जाता है। इसके साथ ही समय-समय पर आध्यात्मिक प्रवचन भी कराए जाते हैं। अभी हाल ही में जैन मुनि सुरिश्वर महाराज ने बंदियों को प्रवचन दिए।

बंदियों को दिया गया प्रशिक्षण
स्वास्थ्य और मनोरंजन के साथ ही बंदियों को हुनरमंद बनाने का काम भी किया गया। महिला बंदियों को गाय के गोबर से लक्ष्मी, गणेश की प्रतिमा व अन्य आइटम बनाने सिखाए तो पुरुष बंदियों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया गया। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के माध्यम से मुख्य विकास अधिकारी के सौजन्य से ओडीओपी योजना में पुरुष बंदियों को धातु शिल्प, बागवानी और दौना-पत्तल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। महिला बंदियों को आचार बनाने में पारंगत किया गया।

समाजसेवी संस्थाओं ने जुर्माना जमा कर 64 बंदियों को कराया रिहा
जेल को अब संस्कार गृह के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्ष 2022 में समाजसेवी संस्थाएं ऐसे बंदियों को रिहा कराने के लिए आगे आईं जो मामूली अपराध में जुर्माना जमा नहीं कर पाने के कारण जेल में बंद थे। ऐसे 64 बंदियों का जुर्माना जमा करके संस्थाओं ने उन्हें जिला से रिहा कराया।

जेल के निर्माण की तैयारी है। यह कार्य दो साल में पूरा होना है। गंभीर बीमारी पर जेल प्रशासन की ओर से कई बंदियों का एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भी उपचार कराया गया। समय-समय पर बंदियों की विभिन्न जांचें भी कराई जाती हैं। -डा.वीरेश राज शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

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