बरेली: आईटीआर फैक्ट्री के आवासों पर बाहरियों के साथ पुलिस वालों ने भी किए कब्जे

बरेली: आईटीआर फैक्ट्री के आवासों पर बाहरियों के साथ पुलिस वालों ने भी किए कब्जे

बरेली, अमृत विचार। 18 साल से बंद पड़ी आईटीआर फैक्ट्री की यूनियनों के पदाधिकारियों ने सोमवार को मंडलायुक्त को चार पेज का शिकायती पत्र सौंपा है। पदाधिकारियों ने कंपनी के आवासीय परिसर में बने कई क्वार्टरों पर पुलिस कर्मियों और बाहरी व्यक्तियों द्वारा कब्जा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आवासीय परिसर को खाली कराने की मांग उठाई है। पदाधिकारियों ने शिकायती पत्र की कापी मुख्यमंत्री और रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय इलाहाबाद और औद्योगिक विकास आयुक्त को भी भेजी है। 

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भारतीय तारपीन बिरोजा कर्मचारी संघ, तारपीन बिरोजा कर्मचारी यूनियन, आईटीआर स्टाफ एसोसिएशन, हिंद मजदूर सभा, टर्पेन्टाइन एंड बाबिन फैक्टरीज लेबर यूनियन, आईटीआर एससी/एसटी वेलफेयर एसोसिशन के पदाधिकारियों ने मंडलायुक्त/प्रबंध निदेशक को शिकायती पत्र देकर बताया है कि निरंतर हानि होने के चलते बीआईएफआर के निर्देश पर वर्ष 2004 में शासन ने इस प्रतिष्ठान को बंद घोषित करके इसका प्रबंधन मंडलायुक्त को सौंप दिया था। इसमें कार्यरत कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। कंपनी का कार्य सुचारू रूप से चलाने को बीआईएफआर के पत्र 1 जुलाई 2006 में दिए गए निर्देशों के अनुपालन में कुछ पूर्व कर्मचारियों को स्कैल्टन स्टाफ के रूप में नियुक्त किया था। 

बताया कि 2012 में मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई कराने के लिए कहा था। तब जांच की गई। जांच में यह मालूम हुआ कि 90 परिवार कंपनी की कालोनी में अवैध रूप से रह रहे थे, जिनकी संख्या वर्तमान में 150 परिवार हो गई। जांचकर्ता तहसीलदार सदर द्वारा ऐसे परिवारों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए राजस्व कर्मियों के साथ पुलिस बल की भी मांग की, जो आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई। उस वक्त प्रशासन की उदासीनता की वजह से अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि कालोनी में ही प्रशासन के लगवाए ताले तोड़कर कब्जा कर लिया। बीच में 12.11 करोड़ रुपये विद्युत का चुकाया गया। जिसमें अवैध रूप से रह रहे लोगों ने 6 कराेड़ रुपये की विद्युत उपयोग की थी। 

मंडलायुक्त को पदाधिकारियों ने बताया है कि कालोनी में रहने वाले पुलिस कर्मी एक तरफ तो निवास करते हैं तो दूसरी तरफ विभाग से आवासीय भत्ता भी ले रहे हैं। इससे सरकार की दो तरह से हानि हो रही है। 16 जुलाई 2022 को पत्राचार करने पर 20 अगस्त 2022 को स्थानीय अभिसूचना इकाई से दो कर्मचारी कंपनी की कालोनी में अवैध कब्जों की शिकायत के संबंध में आए थे। अक्टूबर माह में अपर आयुक्त प्रशासन से वार्ता हुई तब उन्होंने भी माना था कि कब्जेदारों में पुलिस कर्मी भी शामिल हैं। शिकायत में यह भी कहा कि कंपनी की 8000 वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा कर पक्की दुकानें बना ली गई हैं। चार पेज की शिकायत में 18 बिंदु लिखकर पूरी बात बताई है।

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