लखनऊ : द्रवित करने वाली है नाटक कहानी एक कोठे की

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Published By Virendra Pandey
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अमृत विचार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश दिवस के उपलक्ष्य में पर्यटन निदेशालय, संगीत नाटक अकादमी, नव अंशिका फाउंडेशन और थियेटर एंड फिल्म वेल्फेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दस दिवसीय लखनऊ नाट्य समारोह शनिवार को नाटक कहानी एक कोठे की के मंचन के साथ सम्पन्न हो गया। समारोह का आयोजन संगीत नाटक अकादमी की वाल्मीकि रंगशाला में किया गया था।

चन्द्रभाष सिंह द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक कहानी एक कोठे की में समाज के उस तबके की बात की गई जिसे हम कभी अच्छी नजर से नहीं देखते। कोठे पर काम करने वाली लड़कियां पुरुष के भोग की वस्तु तो हैं लेकिन सम्मान की हकदार नहीं हैं। यह नाटक यह बताता है कि वेश्यावृत्ति के जरिये धन कमाना आसान काम नहीं है। एक कोठे के संचालन में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है यह समझना भी आसान काम नहीं है।

यह नाटक उन वजहों पर रौशनी डालता है जिसकी वजह से लड़कियों को ऐसा घिनौना काम करने को मजबूर होना पड़ता है। कोठे पर काम करने वाली हर लड़की की हर कहानी अलग है लेकिन हर कहानी द्रवित करने वाली है। शरीर बेचने वाली लड़की वास्तव में अपना जमीर भी बेचती है। कोठे पर काम करने वाली एक ऐसी लड़की है जिसका 13 साल की उम्र में बलात्कार किया गया। जिसने बलात्कार किया उसे वह भईया बोलती थी। उसे इंसाफ तो नहीं मिला उलटे मां-बाप को समाज की बातें सुननी पडीं। थक हारकर वह कोठे पर आई। कोठे पर एक नौजवान इसलिए आता है क्योंकि उसे अपनी गायब हो गई बहन की तलाश है।

कोठे पर स्थानीय विधायक का बेटा आकर जबरदस्ती करता है और मना करने पर कोठे पर पुलिस का छापा डलवाता है। कोठे पर पुलिसकर्मी आता है और अपनी मर्जी की करके चला जाता है। कोठे की मालकिन की नौ साल की बेटी पर विधायक के बेटे की नजर है। इसी मुद्दे पर कोठे की संचालिका और विधायक के बेटे में झगड़ा होता है और अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए वह उसे गोली मार देती है।

इस नाटक में जूही कुमारी, निहारिका कश्यप, एश जायसवाल, श्रुति पाण्डेय, साक्षी अवस्थी, विशाल वर्मा, करण दीक्षित. अग्नि सिंह, अंशुल पाल, राम चरन, वरुण सिंह, आशीष सिंह, कोमल प्रजापति, विशाल वर्मा और अंजली सिंह ने उल्लेखनीय भूमिकाएं अदा कीं।

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