किसी अन्य धर्म के ग्रंथों को जलाकर दिखाओ... राजनारायणाचार्य ने बताई रामचरितमानस के विरोध की असली वजह

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Published By Deepak Mishra
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देवरिया। यूपी की राजधानी लखनऊ में श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) की प्रतियां फाड़ने और जलाने की घटना को देवरिया जिले के श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी राजनारायणाचार्य जी महाराज ने हिंदू और भारतीय संविधान का अपमान बताया है। इसके साथ उन्होंने कहा है कि विदेशी मिशनरियों के इशारे पर यह सुनियोजित षड्यंत्र रचा जा रहा हैं। भारतीय संविधान यह किसी को भी यह अधिकार नहीं देता है। यह बहुत ही निंदनीय और घृणित कार्य है।

इसके साथ ही जगद्गुरु स्वामी राजनारायणाचार्य ने कहा है कि रामचरितमानस विश्व का पहला संविधान है। यह समतामूलक है। अगर कोई किसी धर्म या किसी धार्मिक ग्रंथ को नहीं मानता है तो वह उसे न पढ़ें। मगर उसे अपमानित करना या जलाना दुर्भाग्यपूर्ण कार्य है। भारत में रहने वाले भारतीय ग्रंथों का अपमान करें, इसे हास्यास्पद और घृणास्पद और क्या हो सकता है। भारतीय संविधान के प्रथम पृष्ठ पर ही पुष्पक विमान से अयोध्या लौटते प्रभु श्रीराम का चित्र बना हुआ है। ऐसे में इसे जलाना भारतीय संविधान का अपमान है और यह राष्ट्र द्रोह से भी बड़ा अपराध है।

किसी अन्य धर्म के ग्रंथों को जलाकर दिखाओ
जगद्गुरु स्वामी ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वाले लोगों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर तुम्हारे अंदर बल और पौरुष है तो किसी अन्य धर्म के ग्रंथों को जलाकर दिखाओ। सनातनधर्म के ग्रंथों में रोचक, भयानक, यथार्थ विधा से निरुपण किया गया है। इसका परम लक्ष्य समाज को सच्चाई का ज्ञान कराना है।

किसी भी श्लोक, दोहा, चौपाई, छप्पय, छंद, सोरठा, कवित्त आदि का अर्थ प्रकरण को देखकर किया जाता है। भारतीय वांग्मय में एक शब्द के अनकों अर्थ होते है, जिसका निरुपण प्रसंग, पात्र के अनुसार किया जाता है। ऐसे में इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकार को सोचना होगा और तत्काल इसे सुलझाना होगा।

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