बरेली: खाओ और खिलाओ में खप गया कई ग्राम पंचायतों का बजट
निगरानी कमजोर होने से बढ़ा भ्रष्टाचार, एक महीने में सात सचिव और प्रधानों पर कार्रवाई, चार मामलों में और उजागर हुआ गोलमाल
महिपाल गंगवार, बरेली, अमृत विचार। कमीशनखोरी तो पहले से आम थी लेकिन अब ग्राम पंचायतों में खाओ और खिलाओ की फितरत इस कदर जोर पकड़ गई है कि पूरे का पूरा बजट इसी में निपटा दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान, सचिव और रोजगार सेवक की तिकड़ी सरकारी पैसे हड़पने का कोई मौका चूकने को तैयार नहीं है, उधर अफसरों को तभी होश आता है जब शिकायत प्रमाणों के साथ उनकी टेबल पर पहुंच जाती है। ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाएं किस कदर भ्रष्टाचार में खत्म हो रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ एक महीने में छह से ज्यादा ग्राम प्रधानों और सचिवों के खिलाफ गबन के मामलों में कार्रवाई हो चुकी है।
इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सचिवों के खिलाफ गबन के मामलों में जांच चल रही है। इनमें कई की फाइल कार्रवाई की संस्तुति के साथ डीएम को भेजी जा चुकी है। हाल ही में रामनगर और दमखोदा ब्लॉक में सरकारी पैसे के गबन के दो और मामले सामने आए हैं। इन मामलों में डीएम के आदेश पर ग्राम प्रधानों के खिलाफ अधिकार सीज करने और ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। कई और ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सचिवों के खिलाफ प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि होने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
दमखोदा ब्लॉक के खमरिया गोपा डांडी गांव के मो. यूसुफ अंसारी, असलम, वीरेंद्र, रेहान ने पिछले साल शपथ पत्र के साथ डीएम से ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ लाखों का घोटाला करने की शिकायत की थी। जांच में शिकायत सही पाई गई। ग्राम प्रधान आरिफ ने ग्राम निधि के 16 लाख रुपये अपने सगे भाइयों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए थे। पंचायत भवन की मरम्मत के लिए दो बार रकम निकाली लेकिन मरम्मत के बजाय हड़प कर ली। इसी तरह मनरेगा के बजट में गबन किया गया। सचिव के खिलाफ अपने दोस्त मोहन मौर्य के खाते से ग्राम निधि के दो लाख रुपये भेजने की पुष्टि हुई।
जांच में लघु सिंचाई विभाग के जेई राकेश कुमार भी फंस गए। इसके बाद ग्राम प्रधान आरिफ के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज करने के साथ सचिव अयोध्या प्रसाद को निलंबित कर दिया गया। डीपीआरओ के मुताबिक जेई के खिलाफ भी कार्रवाई को पत्र लिखा गया है। रामनगर ब्लॉक के गांव व्योधन खुर्द में ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ सरकारी हैंडपंपों को रिबोर कराने का बजट हड़पने की प्रमाणों के साथ शिकायत की गई थी। सीडीओ के निर्देश पर जांच हुई तो आरोप सही मिले। पता चला कि पंचायत सचिव नरेश दिवाकर और ग्राम प्रधान ने बिना हैडंपप रिबोर कराए 38 हजार रुपये की धनराशि का गबन कर लिया।
फर्जी सदस्यों की समितियां बनाकर हड़प गए लाखों
ग्राम पंचायत रामनगर में ग्राम पंचायत सदस्यों ने सचिव और प्रधान के खिलाफ बगैर कोई एजेंडा निकाले फर्जी समितियों का गठन का प्रस्ताव पारित कर देने और ग्राम पंचायत सदस्यों को इसकी जानकारी तक न देने की शिकायत की। डीएम के निर्देश पर जांच हुई तो पता चला कि प्रधान और सचिव फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नए सदस्यों के साथ मीटिंग करते है। ग्राम पंचायत में इन्हीं फर्जी सदस्यों के साथ बैठक कर कार्ययोजना तैयार करके 15 लाख रुपये हजम कर लिए गए। डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार के मुताबिक प्रधान अजय पाल सिंह और सचिव से यह धनराशि वसूलने के साथ उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दोनों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराने का निर्देश बीडीओ को दिया गया है।
मनरेगा के मजदूरों से भी कमीशन की मांग
मझगवां के गांव निसोई के विष्णु दयाल समेत कई लोगों ने मनरेगा के तहत भुगतान करने के बदले रिश्वत मांगने का रोजगार सेवक पर आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ डीएम से शिकायत की गई है। डीसी मनरेगा गंगाराम वर्मा इसकी जांच कर रहे है। खंड विकास अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारी से मिली जांच आख्या में प्रथमदृष्टया रोजगार सेवक को दोषी मानते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जांच में भुगतान की एवज में 500 रुपये लेने का मामला साबित होने के बाद डीसी मनरेगा ने एक सप्ताह में साक्ष्य उपलब्ध न कराने पर सेवाएं समाप्त करने की चेतावनी दी है।
सरकार का जोर ग्राम पंचायतों में चहुंमुखी विकास कराने का है। इसलिए ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगा। बीडीओ, सचिव, ग्राम प्रधान हो या कोई और, जिसकी संलिप्तता मिलेगी, उस पर सख्त कार्रवाईकी जाएगी। लगातार कार्रवाई हो भी रही है- जग प्रवेश, सीडीओ।
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