बरेली: एलबेंडाजोल और फाइलेरिया की दवा खाते ही बिगड़ गई बच्चों की हालत

रेती जूनियर हाईस्कूल में मचा हड़कंप, एंबुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल ले जाए गए 12 बच्चे, एक गंभीर

बरेली: एलबेंडाजोल और फाइलेरिया की दवा खाते ही बिगड़ गई बच्चों की हालत

बरेली, अमृत विचार। किला के रेती मोहल्ले में बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर हाईस्कूल में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब स्वास्थ्य विभाग के अभियान के तहत पेट के कीड़े मारने की दवा एलबेंडाजोल और फाइलेरिया की दवा खिलाए जाते ही तमाम बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। 12 बच्चों की हालत गंभीर हो गई तो आननफानन एंबुलेंस बुलाकर उन्हें जिला अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया। कुछ घंटों बाद हालत सुधरने के साथ 11 बच्चों को घर भेज दिया गया। एक की हालत अब भी गंभीर है।

स्वास्थ्य विभाग से पहुंची आशा कार्यकर्ता सीता ने स्कूल में शनिवार दोपहर करीब एक बजे 250 बच्चों को एलबेंडाजोल और फाइलेरिया की दवा खिलाई। स्कूल में 7वीं में पढ़ने वाले रेती मोहल्ले के ही आदर्श ने बताया कि दवा खाने के बाद तमाम बच्चों की हालत बिगड़ गई। आदर्श, रूबी, वंशिका, रूही के अलावा प्राइमरी स्कूल के भी 8 बच्चे पेट में दर्द, उल्टी और चक्कर आने से बेहाल हो गए। बच्चों की हालत देखकर स्कूल के स्टाफ के साथ आशा कार्यकर्ता के भी होश उड़ गए।

आशा कार्यकर्ता के फोन करने के बाद स्कूल पहुंची 108 एंबुलेंस बच्चों को जिला अस्पताल ले गई। डॉक्टरों ने प्राइमरी स्कूल के 8 बच्चों की तो प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी कर दी। आदर्श, रूही, रूबी वंशिका और एक अन्य छात्र को भर्ती कर लिया गया। कुछ देर बाद रूही, रूबी वंशिका समेत तीन और बच्चों को घर भेज दिया गया। आदर्श की हालत में देर शाम तक पूरी तरह ठीक नहीं थी। हालांकि डॉक्टरों ने बताया कि आदर्श की हालत खतरे से बाहर है।

12 बच्चों में से 11 की छुट्टी कर दी गई है। एक बच्चा भर्ती है। उसकी हालत में सुधार हो रहा है। कभी-कभी दवा के असर से उल्टी, चक्कर और पेट दर्द जैसी समस्या हो जाती है। इससे डरने की बात नहीं है। पहले भी इस तरह के मामले हो चुके हैं। ऐसा उन बच्चों के साथ होता है, जिनकी शारीरिक क्षमता कम होती है। - डॉ. केके निर्मल, ईएमओ जिला अस्पताल

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