विदेशी आक्रांताओं के नाम वाले स्थानों के पुनर्नामकरण आयोग गठित करने को लेकर याचिका दाखिल

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Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका(पीआईएल) दायर कर उन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का मूल नाम बहाल करने के लिए एक ‘पुनर्नामकरण आयोग’ गठित करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिनका विदेशी आक्रांताओं ने नाम बदल दिया था।

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याचिका में कहा गया है कि मुगल गार्डन का नाम हाल में बदल कर अमृत उद्यान किया गया है, लेकिन सरकार ने आक्रांताओं के नाम पर रखी गई सड़कों के नाम का पुनर्नामकरण करने के लिए कुछ नहीं किया। इसमें दलील दी गई है कि इन नामों का जारी रहना संप्रभुता और संविधान के तहत प्रदत्त अन्य नागरिक अधिकारों के खिलाफ है।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि वैकल्पिक रूप से न्यायालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उन प्राचीन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का शुरूआती(मूल) नाम प्रकाशित करने का निर्देश दिया जा सकता है, जिनका पुनर्नामकरण बर्बर विदेशी आक्रांताओं ने कर दिया था।

पीआईएल में कहा गया है, ‘‘हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं लेकिन ऐसे कई प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थल बर्बर विदेशी आक्रांताओं, उनके सेवकों और परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं।’’ इसमें अनुरोध किया गया है कि इस तरह के स्थानों के मूल नाम का पता लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पुनर्नामकरण आयोग गठित करने का निर्देश दिया जाए।

पीआईएल में कहा गया है, ‘‘29 जनवरी 2023 को मुगल गार्डन का नाम बदल कर अमृत उद्यान कर दिया गया, लेकिन सरकार ने बाबर रोड, हुमायूं रोड, अकबर रोड, जहांगीर रोड, शाहजहां रोड, बहादुरशाह रोड, शेरशाह रोड, औरंगजेब रोड, तुगलक रोड, सफदरजंग रोड और हेली रोड आदि का पुनर्नामकरण करने के लिए कुछ नहीं किया।’’ उपाध्याय ने केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों और एएसआई को याचिका में पक्षकार बनाया है।

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