बरेली: तालाब में पड़ी मिली दो दिन की नवजात, गांव वालों ने रोने की आवाज सुनकर निकाला बाहर 

बरेली: तालाब में पड़ी मिली दो दिन की नवजात, गांव वालों ने रोने की आवाज सुनकर निकाला बाहर 

बरेली, अमृत विचार। तस्वीर में मीठी नींद में खोई मुस्कराती दिख रही इस मासूम को खुशकिस्मत कहा जाए या बदकिस्मत, यह आप ही तय कर लीजिए। सिर्फ दो दिन की यह बच्ची बृहस्पतिवार शाम नवाबगंज के गांव खतौआ के एक तालाब में पड़ी मिली। जलकुंभी में सिर फंस जाने की वजह से वह डूबने से बच गई। रोने की आवाज सुनकर गांव वालों ने उसे निकाला। इसके बाद चाइल्ड लाइन के जरिए उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जांच में स्वस्थ पाए जाने के बाद अब उसे बॉर्न बेबी फोल्ड अनाथालय में भर्ती कराया गया है।

शक की कोई वजह नहीं है कि मासूम को उसे जन्म देने वालों ने ही तालाब में डूब मरने के लिए फेंक दिया। शायद इसीलिए कि उसने बेटी के तौर पर जन्म लिया। फिर भी विधाता ने तमाम और बेटियों की तरह उसे मरने नहीं दिया। बृहस्पतिवार को गांव के कुछ लोग तालाब के पास से गुजरे तो बच्ची के रोने की आवाज सुनकर चौंक गए। देखा, नवजात बच्ची का सिर जलकुंभी के झुंड में फंसा हुआ था और पैर पानी में डूबे हुए थे। आनन-फानन बच्ची को बाहर निकाला गया। जिस्म से गीले कपड़े उतारकर उसे दूसरे कपड़े पहनाए गए। फिर पुलिस को सूचना दी गई।

पुलिस ने मौके पर पहुंचने के बाद चाइल्ड लाइन को सूचना दी। इसके बाद चाइल्ड लाइन के सदस्य रवि गंगवार और मुस्कान पहुंचे और बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया। देखने में बच्ची पूरी तरह स्वस्थ लग रही थी। इससे अंदाजा लगाया गया कि उसके तालाब में मिलने से कुछ ही देर पहले उसे फेंका गया था। जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार के निर्देश के बाद बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। उधर, पुलिस ने गांव में काफी देर छानबीन कर यह पता लगाने की कोशिश की बच्ची को किसने तालाब में फेंका है, लेकिन इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला। चाइल्ड लाइन के कोऑर्डिनेटर सौरभ गंगवार ने बताया कि बच्ची के माता-पिता का सुराग नहीं लग सका है। पुलिस भी फिलहाल जांच-पड़ताल कर रही है।

बच्ची पूरी तरह स्वस्थ, जिला अस्पताल में जांच के बाद चाइल्ड लाइन के सुपुर्द
कहते हैं जाको राखे साइयां मार सके न कोए। मरने के लिए तालाब में फेंकी गई बच्ची ने भी इसे साबित किया। जिला अस्पताल में हुई जांच के बाद उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। इसके बाद उसे वापस चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया। चाइल्ड लाइन ने उसे बॉर्न बेबी फोल्ड में भर्ती करा दिया है। शुक्रवार को उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाएगा। उधर, खतौआ गांव में पूरे दिन यह घटना चर्चा का विषय बनी रही। लोग बच्ची को तालाब में फेंकने वालों को कोसते रहे। उस मां के खिलाफ लोगों का काफी गुस्सा था जिसने बच्ची को जन्म दिया और फिर तालाब में फिंकवा दिया।

बेटियों! सोया हुआ है सिस्टम इसीलिए तुम्हारी जान लेने में कोई हिचक नहीं
जिले भर में फैले अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर में कितनों में हर रोज बेटियों की मौत का सामान होता है, कोई कुछ नहीं कह सकता। शहर के कोपल अस्पताल में भ्रूण लिंग की जांच का मामला हो या शाही के एक अवैध क्लिनिक में भ्रूण हत्या किए जाने की पुष्टि का, हाल ही में इन दोनों मामलों से यह साबित हो ही गया कि बरेली में यह क्रूर खेल खूब चल रहा है। सिस्टम गर्भ में या जन्म लेने के बाद बेटियों की हत्या पर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन दोनों मामलों में अब तक कार्रवाई अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है। अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई हमेशा भ्रष्टाचार और धांधली से प्रभावित होने के भी आरोप लगते रहे हैं। जहां चाहे एफआईआर करा दी जाती है और जहां चाहे एफआईआर कराने के बाद भी अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने की अनुमति दे दी जाती है। इसी कारण यह खेल बेटियों की जान पर भारी पड़ रहा है।

जन्म देकर भी मारने के लिए क्या-क्या नहीं करते

  • 24 फरवरी 2015 : इज्जतनगर इलाके में सौफुटा रोड पर एक नवजात बच्चे का शव पड़ा मिला।
  • 03 अक्टूबर 2019 : खजुरिया घाट के पास मृत मिला नवजात बच्चा, फेंकने वालों का पता नहीं चला।
  • 10 अक्टूबर 2019 : नवजात बच्ची को मटके में बंद कर सिटी श्मशान भूमि में गाड़ दिया गया।
  • 15 अक्टूबर 2019 : जिला अस्पताल के शौचालय में मिली मृत नवजात, परिजनों का पता नहीं चला।
  • 17 अक्टूबर 2019 : मीरगंज के गांव नौगवां के खेत में फेंकी गई बच्ची जीवित अवस्था में मिली।
  • 28 जुलाई 2020 : डेलापीर मंडी के पास पांच महीने की बच्ची रोती हुई मिली, उसे परिजन छोड़ गए थे।
  • 21 जनवरी 2021 : सिरौली के गांव हरदासपुर में दो दिन की बच्ची को कड़ाके की ठंड में खेत में फेंक दिया।
  • 28 जून 2021 : शाही के दुनका में नवजात बच्ची को फेंक दिया, चीटियों जिस्म नोचकर उसे बुरी तरह घायल कर दिया था।
  • 03 मार्च 2022 : सेटेलाइट पुल के पास झाड़ियों में नवजात बच्ची को फेंक दिया गया, मगर वह जीवित बच गई।

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