IIT Kanpur तैयार करेगा शुद्ध हाईड्रोजन, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से खोजी जा रही तकनीक

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर आईआईटी शुद्ध हाईड्रोजन तैयार करेगा।

कानपुर आईआईटी शुद्ध हाईड्रोजन तैयार करेगा। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से तकनीक खोजी जा रही। हवा में जाने से पहले दूषित कार्बन तत्वों को हटाने पर शोध कार्य।

कानपुर, अमृत विचार। अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों की तरह ऐसी ऊर्जा पर कार्य किए जा रहे हैं, जिनका उपयोग लंबे समय तक किया जा सके। सबसे प्रमुख सौर ऊर्जा है, लेकिन इसको बैट्री के माध्यम से ही संरक्षित किया जा सकता है। दूसरी ओर औद्योगिक इकाईयों में कई तरह के ग्रीन फ्यूल पर कार्य शुरू हो गया है। इनमें से एक हाईड्रोजन गैस है।

यह गैस कुदरत में शुद्ध तरीके से आसानी से नहीं मिलती है। इसको पाने के लिए विभिन्न रासायनिक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने शुद्ध हाईड्रोजन गैस को सूर्य की रोशनी और अन्य सतत ऊर्जा से विकसित करने की तैयारी की है। इस कार्य में डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का सहयोग मिल रहा है।

आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जयंत कुमार सिंह और उनकी टीम शुद्ध हाईड्रोजन गैस की तकनीक विकसित कर रही है। प्रो. जयंत कुमार सिंह ने बताया कि हाईड्रोजन एचटू फार्म में नहीं मिलता है, जिसकी वजह से रासायनिक प्रक्रिया करनी पड़ती है। इसके प्रक्रिया के तरीके के अनुसार ही इसे ब्लू, ग्रीन, ग्रे हाईड्रोजन के नाम से जाना जाता है। संस्थान में शुद्ध हाईड्रोजन तैयार करने के लिए सौर उर्जा, पानी और अन्य सतत ऊर्जा का सहारा लिया जा रहा है।

बड़ी इकाईयों को मिलेगा लाभ

प्रो. जयंत कुमार सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्ट के अलावा बड़ी इकाईयों को लाभ मिलेगा। तकनीक विकसित होने के बाद इंडियन ऑयल कारर्पोरेशन, रिलायंस आदि को स्थानांतरित किया जा सकेगा। यह कार्य अलग अलग चरणों में किया जा रहा है। कई ऊर्जा के संसाधनों पर टेस्टिंग की जा रही है। डीएसटी की ओर से कई अन्य आईआईटी को जिम्मेदारी दी गई है। सभी अलग अलग क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।

कार्बन तत्वों को हटाने पर कार्य

संस्थान में दूषित कार्बन तत्वों को हवा में जाने से पहले ही रोकने की तकनीक विकसित की जा रही है। यह विभिन्न सीमेंट उद्योग, कोल प्लांट और अन्य बड़ी औद्योगिक इकाईयों में इस्तेमाल हो सकेगा। आईआईटी के विशेषज्ञों ने बताया कि हवा में घुले दूषित कार्बन तत्वों को अवशोषित करने की बड़ी बड़ी मशीनें पहले ही बन चुकी हैं। स्विटजरलैंड में अब तक सबसे बड़ी मशीन तैयार हो चुकी है। संस्थान में भी मशीन से निकलने से पहले ही कार्बन तत्वों को सोखने वाला सिस्टम बनाया जा रहा है।

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