बरेली: आठ साल का बकाया था टैक्स, जोनल अधिकारी ने 93 फीसदी कर दिया कम

नगर निगम के जोन- 4 में टैक्स की और भी गंभीर हेराफेरी, अब टैक्स कम करने की वजह भी बताने को तैयार नहीं हैं अफसर

बरेली: आठ साल का बकाया था टैक्स, जोनल अधिकारी ने 93 फीसदी कर दिया कम

बरेली, अमृत विचार। टैक्स को कम या ज्यादा करने के आरोप तो वैसे नगर निगम के हर जोन में हैं, लेकिन जोन- 4 में ये मामले और भी ज्यादा संगीन हैं। अफसरों पर इस जोन में एक दुकान का लगभग पूरा टैक्स ही खत्म कर देने का आरोप है। टैक्स विभाग का महात्म्य यह भी है कि मामला जानकारी में आने के बावजूद अफसर न सिर्फ उसे दबाए बैठे हैं बल्कि कोई जवाब तक देने को तैयार नहीं हैं। हालांकि अपने बचाव के लिए नगर निगम के लेजर में किसी कर्मचारी ने यह जरूर दर्ज कर दिया है कि यह टैक्स संशोधन जोनल अधिकारी के आदेश पर किया गया है।

जोन- 4 के ही राजेंद्रनगर इलाके में शील चौराहे पर एक कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में जांच की गई तो पता चला कि 36 दुकानों पर नगर निगम के अफसरों ने टैक्स ही नहीं लगाया है। इसके लिए कोई जवाबदेही तो नहीं तय की गई, बस इतना हुआ कि दुकानों की पैमाइश कराकर उन पर वर्ष 2014-15 से टैक्स का निर्धारण कर दिया गया। यह सर्वे दिसंबर 2020 में कराया गया था। इसी कॉम्प्लेक्स की आईडी नंबर 7916273 के दुकान मालिक के एक बार भी टैक्स जमा न करने की वजह से उसका बिल 89306 रुपये हो गया। नौ दिसंबर 2022 को उसने नगर निगम के अफसरों से साठगांठ कर 81582 रुपये का टैक्स माफ करा लिया।

इसके बाद वर्ष 2022 में उसे सिर्फ 6377 रुपये का टैक्स बिल जारी हुआ, उसने पिछले बकाया के साथ 12 दिसंबर 2022 को 14102 रुपये की अदायगी कर दी और नगर निगम से प्रमाणपत्र हासिल कर लिया कि अब उसके ऊपर कोई बकाया नहीं है। नगर निगम के लेजर में यह जिक्र है कि जोनल अधिकारी के आदेश पर बिल संशोधन किया गया। यह अलग बात है कि इसके बावजूद यह मामला फाइलों में ही दबा हुआ है।

किस आधार पर टैक्स कम किया,अफसरों ने जवाब तक नहीं दिया
बिहारीपुर में रहने वाले राकेश चौरसिया ने नगर निगम के टैक्स विभाग को पत्र लिखकर उस आदेश की नकल मांगी थी जिसके तहत राजेंद्रनगर में आईडी नंबर 7916273 का बिल कम किया गया, पूछा है कि यह कटौती किस आधार पर की गई और किस अधिकारी की आईडी और लॉगिन आईडी से यह आदेश लेजर पर चढ़ाया गया है। राकेश ने रामपुर रोड के एक प्रतिष्ठान के बिल में गड़बड़ी के चर्चित मामले की भी जानकारी मांगी है। इस मामले में शासन ने दो टैक्स अधीक्षकों को और तत्कालीन नगर आयुक्त ने पांच क्लर्कों को निलंबित किया था। बाद में उच्चाधिकारियों का हाथ निकला तो क्लर्कों को एक महीने में ही बहाल कर दिया, कर अधीक्षक छह महीने निलंबित रहना पड़ा था। इस पत्र का टैक्स विभाग से कोई जवाब नहीं मिला है।

डेढ़ करोड़ से बने नाले में बहाव ही नहीं, गिर सकती हैं दीवारें
नगर निगम में ठेकेदार, अफसर और जनप्रतिनिधियों के गठजोड़ ने विकास की आड़ में किए गए खेलों से करोड़ों के काम बेकार हो गए हैं। सीबीगंज में पॉलीटेक्निक के पास छोटी बाजार से मॉल तक 15वें वित्त के डेढ़ करोड़ रुपये से सारे तकनीकी मानक तय कर टेढ़ामेढ़ा नाला बना दिया गया है। नाले का पानी दीवार के दूसरी तरफ भी भर रहा है, इससे दीवारें धंसने की आशंका जताई जा रही है। लोगों का कहना है कि नाले के पानी का कहीं निकास नहीं है, उसे किसी दूसरे नाले से मिलाया नहीं गया है। निर्माण भी उल्टी दिशा में हुआ है।

ढाई साल पहले हुए काम का बिल नहीं बना रहा जेई
बरेली, अमृत विचार: महेशपुर अटरिया वार्ड 45 में अख्तर मौलाना के मकान से शराफत के मकान तक टाइल्स और सीसी रोड के निर्माण के लिए 2019 में निकले टेंडर पर काम करने के बाद अब तक ठेकेदार को भुगतान नहीं मिला है। आरोप है कि अपना फंसा पैसा निकालने के लिए जेई की हर फरमाइश पूरी करने के बावजूद वह संतुष्ट नहीं हो रहा है, लिहाजा ढाई साल बाद भी उसने बिल नहीं बनाया है।

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