चमोली: इस मंदिर के अंदर मूर्ति दर्शन के लिए नहीं जाते श्रद्धालु, पुजारी भी आंख में पट्टी बांधकर करते हैं पूजा
चमोली, अमृत विचार। चमोली जिले के देवाल के वांण कस्बे पर स्थित लाटू देवता का यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। समुन्द्र सतह से 8500 फीट की ऊंचाई पर स्थित विशाल देवदार वृक्ष के नीचे पारंपरिक कुटिया के रूप में स्थित लाटू देवता का मंदिर किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। हरे-भरे सुरम्य वातावरण के बीच इस मंदिर के पीछे कई किवदंतियां और मान्यताएं हैं।
लाटू देवता को उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है । प्रत्येक 12 सालों में उत्तराखंड की सबसे लंबी श्री नंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव वांण गांव है । लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं। लाटू देवता मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराज मणि के साथ निवास करते हैं । श्रद्धालु साक्षात नाग को देखकर डरे न इसलिए मुंह और आंख पर पट्टी बांधी जाती है। यह भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध देवता तक न पहुंचे इसलिए पुजारी के मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पट्टी बंधी रहती है।
लाटू देवता मंदिर में मूर्ति के दर्शन नहीं किए जाते हैं। सिर्फ पुजारी ही मंदिर के भीतर जाकर पूजा कर सकते हैं। लाटू देवता मंदिर में प्रवेश करते समय पुजारी की आंख पर पट्टी बंधी रहती है। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर में नाग मणि है। भक्त मंदिर से 75 फीट की दूरी से पूजा अर्चना करते हैं। जिस दिन लाटू देवता मंदिर के कपाट खुलते हैं , उस दिन यहां पर विष्णु सहस्रनाम व भगवती चंडिका का पाठ भी आयोजित किया जाता है । लाटू देवता को स्थानीय लोग “आराध्य देवता” मानते हैं। वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर का कपाट सालभर में एक ही बार खुलता है।
इस दिन यहां विशाल मेला आयोजित होता है, वांण क्षेत्र में लाटू देवता के प्रति लोगों में बड़ी श्रद्धा है। लोग अपनी मनोकामना लेकर लाटू देवता के मंदिर में आते हैं , कहते हैं यहां से मांगी मनोकामना जरुर पूरी होती है।
लाटू देवता मंदिर की पौराणिक कथा
लाटू देवता के विषय में ऐसी पौराणिक कथा है कि जब देवी पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह हुआ तो पार्वती जिसे नंदा देवी नाम से भी जाना जाता है । इन्हें विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े। इसमें चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे। मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच लाटू देवता को एक घर दिखा और पानी की तलाश में घर के अंदर पहुंच गए । घर का मालिक बुजुर्ग था। बुजुर्ग ने लाटू देवता से कहा कि कोने में मटका है पानी पी लो, घर के अंदर कांच के घड़े में जान (स्थानीय स्तर पर बनने वाली कच्ची शराब) और मिट्टी के दूसरे घड़े में पानी था , लेकिन जान (स्थानीय स्तर पर बनने वाली कच्ची शराब) इतना स्वच्छ दिखता है कि लाटू उसे साफ पानी समझकर पी लेता है।
जब लाटू को पता चलता है कि उसने पानी की जगह शराब पी ली है तो कुछ ही देर में वह नशे में उत्पात मचाने लगते हैं। इसे देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो जाती हैं और लाटू को कैद में डाल देती हैं। देवी पार्वती के आदेशानुसार लाटू देवता को हमेशा कैद में ही रख दिया जाता है। माना जाता है कि कैदखाने में लाटू देवता एक विशाल सांप के रुप में विरामान रहते हैं। इन्हें देखकर पुजारी डर न जाएं इसलिए यह आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर का द्वार खोलते हैं।
