रामपुर: वृद्ध की हत्या में दंपति को आजीवन कारावास, दोनों पर लगा साढ़े चौबीस हजार का जुर्माना

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Published By Priya
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रामपुर, अमृत विचार। वृद्ध की हत्या करने के मामले में एडीजे प्रथम की कोर्ट ने आरोपी दंपति को आजीवन कारावास और साढ़े चौबीस हजार का जुर्माना लगाया है। कई सालों से इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी।

 शहजादनगर थाना क्षेत्र निवासी मसरुर अहमद का कहना है कि उसके भाई  खुशनूद के साढू आरिफ उसके ही गांव का रहने वाला है। जिसका चाल चलन ठीक नहीं होने के कारण उसके पिता आरिफ से रंजिश मनाते हैं। जिसके चलते 11 अप्रैल  2017 को आरिफ अपनी पत्नी रुबीना के साथ उसके पिता के घर पर पहुंच गया। जहां दोनों के बीच गाली गलौच शुरु हो गई थी। इस बीच रुबीना के कहने पर आरिफ ने पीड़ित के पिता  पर  मकसूद अहमद पर चाकू से हमलाकर करके घायल कर दिया था।

आस पास के लोगों के विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए थे। इस बीच मकसूद अहमद की  मौत हो गई थी। सूचना मिलने के बाद गांव के लोग मौके पर आ गए थे। उसके बाद जानकारी मिलने पर पुलिस आ गई थी। उसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। उसके बाद तहरीर के आधार पर पुलिस ने दंपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसके बाद पुलिस ने मामले की विवचेना करते हुए चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी।

जिसकी  सुनवाई एडीजे प्रथम की कोर्ट में चल रही थी। बुधवार को पीठासीन अधिकारी संजीव कुमार तिवारी ने  दंपति को सजा सुनाई। एडीजीसी सीमा सिंह राणा ने बताया कि मोहम्मद आरिफ ओर रुबीना को धारा 302 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिसमें दोनों पर दस हजार का जुर्माना लगाया। इसके अलावा आरिफ  को आयुष अधिनियम में  दोष सिद्ध करते हुए एक साल की सजा और पांच  सौ रुपये डाले गए। दंपति को 452 में तीन साल की सजा और एक हजार का जुर्माना,504 में  छह माह का कारावास और 500 रुपये का जुर्माना,506 में छह माह का जुर्माना और 500 रुपये का जुर्माना डाला गया।  

आरोपी के शराब पीकर आने पर वृद्ध ने कई बार जताई थी आपत्ति  
मसरुर अहमद का कहना है कि उसके भाई खुशनूद  का साढू  आरिफ गांव का ही रहने वाला  है।उसके भाई और आरिफ की शादी केमरी में हुई थी। आरोप है कि आरोपी आरिफ शराब पीकर उसके भाई से मिलने आता था। जिसको लेकर कई बार मृतक ने इसका विरोध भी जताया था तभी से आरिफ उससे रंजिश मानने लगा था। इस बातको लेकर 15 माह का समय भी बीत गया था।

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