न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी

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Published By Om Parkash chaubey
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जीवन को सुगम बनाने में सरकार, न्यायपालिका की अपनी भूमिकाएं हैं और प्रौद्योगिकी इसके लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि दूरस्थ इलाकों में न्याय प्रदान करने की प्रणाली को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि न्याय की सुगमता को और आगे बढ़ाने के लिए कृत्रिम मेधा का उपयोग किया जा सकता है। वास्तव में न्याय वितरण प्रणाली को अत्याधुनिक बनाने में प्रौद्योगिकी के लिए असीमित संभावनाएं हैं। उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी इस दिशा में काम भी कर रही है। ध्यान रहे न्याय व्यवस्था में स्थायी परिवर्तन करने का वह उपयुक्त समय हो सकता है जो देश में न्याय वितरण प्रणाली को रूपांतरित कर सकता है।

कोरोना महामारी के दौरान न्यायालयों ने ई-फाइलिंग जैसी सुविधाओं का उपयोग करना शुरू किया। मई 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने ई-फाइलिंग एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम निर्देशांकन की एक नई प्रणाली पेश की। इसका उद्देश्य प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए दक्षता, पारदर्शिता और अदालती आपूर्ति सेवाओं तक नवीन पहुंच की शुरुआत करना था। न्याय प्रणाली में न्यायाधीशों की भारी कमी बनी हुई है।

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट, 2020 के अनुसार उच्च न्यायालयों में 38 प्रतिशत और अधीनस्थ या निचले न्यायालयों में 22 प्रतिशत रिक्तियों की स्थिति थी। अगस्त 2021 तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के प्रत्येक 10 में से चार से अधिक पद रिक्त थे। कहा जा सकता है कि प्रौद्योगिकी चाहे कितनी भी उन्नत हो न्यायाधीशों का विकल्प नहीं हो सकती।

दूरस्थ क्षेत्रों में अपर्याप्त डिजिटल साक्षरता, अपर्याप्त डिजिटल पैठ, कनेक्टिविटी की गंभीर समस्या न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के उपयोग के रास्ते की बड़ी समस्या है। प्रौद्योगिकी स्वयं में मूल्य-तटस्थ नहीं होती। इसलिए इसका उचित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। समझने की आवश्यकता है कि आपराधिक मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ने न तो ट्रायल की समय सीमा को कम किया है और न ही ट्रायल की प्रतीक्षा करते लोगों की संख्या को कम किया है।

प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भरता न्यायालयों की सभी समस्याओं के लिए रामबाण नहीं है और यदि इस दिशा में सुचिंतित तरीके से कदम नहीं बढ़ाए गए तो यह प्रतिकूल परिणाम भी दे सकता है। प्रौद्योगिकी के चरम पर साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता होगी। सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए उपचारात्मक कदम उठाए हैं और साइबर सुरक्षा रणनीति तैयार की है। हालांकि, इसका व्यावहारिक और वास्तविक कार्यान्वयन एक चुनौती बना हुआ है।