अयोध्या : सगे भाई ने ही हेरा-फेरी कर जमीन का कराया बैनामा, कोर्ट के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने किया केस दर्ज

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, अयोध्या । दो दशक पूर्व 5 जनवरी 1993 ई. को सगे भाई ने हेराफेरी कर अयोध्या कोतवाली क्षेत्र के मांझा बरेहटा स्थित बेशकीमती जमीन का बैनामा कर दिया और परिवार जमीन पर खेती-बारी करता रहा, और हेराफेरी की कानों-कान खबर तक नहीं लगी। विगत वर्ष जुलाई में विपक्षी बैनामेदार खेत में धान की रोपाई करने लगे तो मना करने पर पीड़ित को मामले की जानकारी हुई। इसके बाद पीड़ित ने निबंधन कार्यालय और तहसील से कागजातों की नक़ल हासिल की, तब जाकर सगे भाई द्वारा हेराफेरी किये जाने का मामला पुष्ट हुआ। रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई के लिए शिकायत कोतवाली पुलिस और अधिकारियों को दी। कार्यवाही न होने पर अदालत की शरण ली तो मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत ने रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया। आदेश पर नगर कोतवाली पुलिस ने सगे भाई समेत चार के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना की धारा में नामजद केस दर्ज किया है।

शिकायत में अयोध्या कोतवाली के मौजा माझा बरहटा निवासी 47 वर्षीय रामलाल पुत्र स्व. दयाराम का कहना है कि उन्होंने अपनी कमाई से मांझा बरहटा में अपने और अपने भाई के नाम एक जमीन खरीदी थी। दोनों के नाम जमीन का आधा-आधा हिस्सा बैनामा करवाया था। बाद में परिवार में बंटवारा होने के बाद दोनों अलग-अलग हो गए और अपने-अपने हिस्से में खेती-बारी करने लगे। विगत वर्ष 2 जुलाई को विपक्षी भूदेव शुक्ला उसके हिस्से की जमीन पर धान की बेरन लगवाने लगे तो उसने विरोध किया, विपक्षी ने बताया कि कई साल पूर्व ही उसने जमीन का बैनामा लिया है और यह जमीन उसकी है। इसके बाद उन्होंने तहसील और उपनिबंधक कार्यालय में कागजात का मुआयना कराया तो पता चला कि 5 जनवरी 1993 ई. को उनके सगे भाई रामराज ने उनके स्वामित्व की जमीन का भी फर्जीवाड़ा कर ओम प्रकाश पाण्डेय निवासी ग्राम पण्डितपुर, थाना रौनाही व उमाशंकर पाण्डेय निवासी बाधी मंदिर, अयोध्या की मिलीभगत से भूदेव शुक्ला निवासी बाधी मंदिर के पक्ष में बैनामा कर दिया है। मामला सामने आने के बाद विगत वर्ष जुलाई माह में शिकायत पुलिस और एसएसपी को दी।  

भाई की जगह अपनी फोटो लगाई और अनपढ़ भाई का कर दिया हस्ताक्षर

पीड़ित रामलाल ने हेराफेरी का मामला सामने आने के बाद उपनिबन्धन कार्यालय से 7 जुलाई 2022 को बैनामे की सत्यापित प्रति निकलवाई तो देखा कि दस्तावेज पर उसकी जगह विक्रय विलेख पर भाई रामराज की फोटो लगी है, जबकि नाम और पता उसका दर्ज है। इतना ही नहीं दस्तावेज में क्रेता का हस्ताक्षर है, जबकि वह अनपढ़ है और कागजातों पर अंगूठा निशान ही लगाता है। इस खतौनी के पूर्व के बैनामे में भी उसका अंगूठा निशान ही लगा है। मिलीभगत के चलते ओम प्रकाश पांडेय और उमाशंकर ने फोटो आदि प्रमाणित कर दी। उनका कहना है कि सीजेएम अदालत ने 29 सितंबर 2022 को रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया था।

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