UP News: Video कॉलिंग 'गुरु जी' को नहीं आ रही रास, Online निरीक्षण से परेशान शिक्षक
डीजी का आदेश आते ही ढूंढने लगे विरोध, मुख्यमंत्री से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री से आदेश निरस्त करने की मांग
शिक्षा महानिदेशक को लगातार मिल रही थी शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की शिकायत
रविशंकर गुप्ता/लखनऊ, अमृत विचार। योगी सरकार मानती है कि राजधानी सहित प्रदेश भर के सरकारी विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ेगी तो गरीब बच्चों का भविष्य भी उज्जवल होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए काफी बदलाव किए जा रहे हैं। लेकिन इनमें कुछ ऐसे बदलाव हैं जो 'गुरू जी' को रास नहीं आ रहे हैं। स्थिति ये है कि शिक्षा महानिदेशक के आदेश पर अमल की बजाय शिक्षक उल्टे उन्हें आईना दिखा रहे हैं।
दरअसल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बीती 24 अप्रैल को सभी जिलों के बीएसए और डॉयट प्राचार्यों को आदेश जारी कर मूल्यांकन प्रकोष्ठ का गठन करने का निर्देश दिया है। निर्देश में मूल्यांकन प्रकोष्ठ का उद्देश्य जो बताया गया है उससे शिक्षक बहुत परेशान हो रहे हैं। शिक्षा महानिदेशक का कहना है कि पूरे प्रदेश में निपुण भारत मिशन को लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास जारी है। लेकिन ऐसा पाया गया है कि इस लक्ष्य की पूर्ति में कुछ शिक्षक बाधा बन रहे हैं।
इनमें कई ऐसे भी हैं जो विद्यालय समय से नहीं पहुंचते हैं और पहुंचते हैं तो पढ़ाई में रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों से बच्चों को शैक्षिक वातावरण कैसे मिले इसे लिए उन्हें प्रेरित करने का प्रयास डॉयट स्तर पर गठित मूल्यांकन प्रकोष्ठ करेंगे। वह विद्यालयों में वीडियो कॉलिंग कर पढ़ाई के माहौल को सभी समझेंगे, लेकिन गुरुजनों को यही बात न गवार गुजर रही है। इसके साथ ही शिक्षक अन्य विभाग में ये व्यवस्था क्यों नहीं लागू की गई उल्टे डीजी से ही सवाल पूछ रहे हैं। ऐसे कई सवाल व्हाटसएप यूनिवर्सिटी में चल रहे हैं।
ये है डीजी का आदेश
शिक्षा महानिदेशक ने आदेश में कहा है कि प्राय: यह देखने में आया है कि विद्यालय की अकादमिक गतिविधियों में शिथिलता पाई जाती है। समय सारिणी का सही पालन नहीं होता है तथा शिक्षकों के द्वारा शिक्षाणार्थ अपेक्षित सयम तथा प्रतिबद्धतापूर्वक लक्ष्य प्राप्ति के लिए कार्य निष्पादन के लिए प्रवृत्ति नहीं दर्शायी जाती है। ऐसे में खंड शिक्षा अधिकारियों की भी लापरवाही दिख रही है।
इसलिए प्रभावशाली संचालन की निगरानी की आवश्यकता है। सभी जिलों में मूल्यांकन प्रकोष्ठ गठित किए जायेंगे। इस प्रकोष्ठ में डॉयट प्राचार्य, वरिष्ठ प्रवक्ता, एक पुरुष व एक महिला प्रवक्ता को शामिल किया गया है। प्रकोष्ठ की ड्यूटी होगी कि वह समय-समय पर शिक्षकों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करेंगे और साथ ही वीडियो काल के जरिए शिक्षण कार्य को भी देखेंगे। इसके लिए एक पूरा प्रो फार्मा भी जारी किया गया है। इस स्थिति में किसी भी शिक्षक की लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जायेगी।
डीजी की मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हो रही शिकायत
विजय किरण आंनद का आदेश जारी होते ही अब उनकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह, अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार से की गई है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इस आदेश को तत्काल निरस्त कराया जाये।
उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि शिक्षकों को बिना संशाधन उपलब्ध कराये शिक्षकों की निष्ठा पर संदेह गलत है इस तरह का आदेश निरस्त किया जाये। इसके अलावा इसके साथ ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ सहित कई अन्य शिक्षक संगठनों ने भी विरोध किया है।
दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक 20 हजार शिक्षक अनुपस्थित
बता दें कि शिक्षा महानिदेशक की निर्देश पर विभाग के क्लास वन अफसरों की टीम ने जिलों में जाकर स्कूलों को चेक किया तो अलग-अलग जनपदों से 4 माह के भीतर करीब 20 हजार शिक्षक अनुपस्थित पाये गये। इस स्थिति में निपुण भारत मिशन का लक्ष्य कैसे पूरा होगा इस पर जब शिक्षको की जवाबदेही तय की जा रही है तो विरोध जारी है।
शिक्षकों की निजता पर बता रहें हमला
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रभा कान्त मिश्रा ने कहा कि सरकार मनमाना रवैया अपना रही है यह कदम अव्यावहारिक ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला आदेश है उन्होंने कहा कि जब सरकार विद्यालयों में किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं कर पा रही है जिसमें ऑनलाइन निरीक्षण किया जा सके फिर ऑनलाइन निरीक्षण लागू किया जाना व्यवहारिक नही है यह शिक्षको की निजता पर हमला है।
सरकार द्वारा जबरदस्ती ऑनलाइन निरीक्षण का आदेश तानाशाही रवैया है जूनियर शिक्षक संघ इस आदेश का पालन नही करेगा तथा शिक्षकों से अपील करेगा कि निरीक्षण के लिए ऑनलाइन आने वाली काल का न तो जवाब दें ना ही उठाएं शिक्षक डाटा ले या न ले स्मार्टफोन रखे या बटन वाला फोन रखे यह उसकी इच्छा है शिक्षक फोन उठाएं या न उठाएं यह शिक्षक कीअपनी मर्जी है ....सुधीर सहगल, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ।
वीडियो कॉल द्वारा शिक्षण कार्य का निरीक्षण करने का आदेश हुआ है जो बिल्कुल अनुचित, अप्रासंगिक व अव्यावहारिक है। विद्यालय में खड़े होकर वहां की परिस्थितियों को देखकर शिक्षण कार्य का निरीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि उसमें जो भी कमियां हैं उनको दूर करने का प्रयास किया जा सके। प्रतिदिन निरीक्षण किया जाए लेकिन कार्यस्थल पर जाकर किया जाना चाहिए। क्योंकि विद्यालय की चुनौतियों और वास्तविक स्थितियों का आंकलन कार्य स्थल से ही हो सकता है। वीडियो कॉल द्वारा निरीक्षण करना सर्वथा अनुचित है ... विनय कुमार सिंह प्रान्तीय अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन।
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