मुद्दे की बात

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Published By Moazzam Beg
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अंतर्राष्ट्रीय नजरिए से भारत के लिए वर्ष 2023 बेहद खास है। इस वर्ष भारत दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक समूह जी-20 की अगुवाई करने के साथ ही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की भी अध्यक्षता कर रहा है। अध्यक्ष के तौर पर भारत इसके सभी सदस्य देशों के साथ बेहतर तालमेल और सबको साथ लेकर चलने की नीति पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि भारत के लिए ऐसे पड़ोसी से जुड़ना बेहद मुश्किल है जो देश के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद में संलिप्त हो। 

जयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब हाल ही में पाकिस्तान ने इस बात की पुष्टि की है कि उसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी मई में गोवा में होने वाली एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए भारत आएंगे। एससीओ एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, चार पर्यवेक्षक देश और छह ‘संवाद भागीदार’ देश शामिल हैं। संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है। आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान का रुख फिलहाल एससीओ को लेकर उतना सकारात्मक नहीं दिख रहा। 

भारत की ओर से हमेशा कहा गया है कि पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद को प्रोत्साहित, प्रायोजित और शह नहीं देने की प्रतिबद्धता को पूरा करना होगा। फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में विदेश मंत्री जयशंकर का बयान महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि मुद्दे की बात यह है कि हमारे लिए एक ऐसे पड़ोसी के साथ जुड़ना बहुत मुश्किल है, जो हमारे खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देता है। जबकि दोनों देश एससीओ के सदस्य हैं। इसलिए आमतौर पर बैठकों में भाग लेते हैं। एससीओ 2001 में बनाया गया था।

यह एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सै न्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता बनाए रखना है। भारत एससीओ देशों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। इस नाते भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था से एससीओ क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत की अध्यक्षता से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भारत के नेतृत्व से एससीओ देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खुलेंगे और सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को भी मजबूती मिलेगी। जबकि इस महत्वपूर्ण मंच को लेकर पाकिस्तान का रवैया लापरवाही भरा है।

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