Moradabad Nagar Nigam Election Result : भाजपा के दिग्गजों की बड़ी जीत के दावों का निकला दम

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Published By Bhawna
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विनोद श्रीवास्तव, अमृत विचार। मुरादाबाद नगर निगम के महापौर पद को भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश सरकार के मुखिया खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाक का सवाल था। जीत तो जैसे-तैसे मिली, मगर दिग्गजों और भाजपा प्रत्याशी विनोद अग्रवाल की बड़ी जीत का अरमान धरा रह गया। कांग्रेस के रिजवान आखिरी चक्र की गिनती तक खूब लड़े। वह भले ही जीत नहीं पाए लेकिन, अपने पार्टी को संजीवनी देने के साथ ही भाजपाई रणनीति का दम फुला दिया। आखिरी के चार राउंड की गिनती में सबकी सांस अटक गई थी। 

चार मई को मतदान के दिन चली लहर ने अचानक ही महापौर पद की राजनीति को एक नया आयाम दे दिया था। इसका असर मतगणना में भी दिखा। कई वार्डों में भाजपा के बुरी तरह पिछड़ने के बाद आखिरी के पांच-छह राउंड में एक-एक वोट के लिए कांटे की टक्कर में एक बारगी लगा कि भाजपा प्रत्याशी विनोद अग्रवाल की हैट्रिक का सपना रह जाएगा। लेकिन, चर्चा पर गौर करें तो ऐन वक्त पर बाजी पलट न जाए इसको लेकर बड़ों के फोन घनघनाने लगे और  प्रशासन भी चौकन्ना हो गया। किसी तरह 22वें राउंड में कांग्रेस के पंजे से कमल निकलकर जीत की ओर बढ़ा और विनोद अग्रवाल के हैट्रिक विन की घोषणा हुई। 

कांग्रेस के रिजवान कुरैशी भले ही 3589 वोट से चुनाव हार गए लेकिन, उन्होंने मतगणना स्थल पर सभी का दिल जीता। यहां तक कि भाजपा के कई चेहरे भी आखिर के तीन राउंड में मान बैठे की बाजी भाजपा के हाथ से फिसलकर कांग्रेस के पाले में चली गई। अंत में विनोद अग्रवाल को जीत का प्रमाणपत्र मिलते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ी और जश्न शुरू हो गया। रिजवान कुरैशी ने इस चुनाव में फिर साबित कर दिया कि वह बड़े लड़इया हैं। 2017 के महापौर पद के चुनाव में भी वह 73,029 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि वह 2022 के विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। वह चार अंकों के मत तक ही सिमट कर रह गए थे। जबकि 2017 में भाजपा के विनोद अग्रवाल ने 94,584 वोट  पाकर रिजवान को 21,555 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। 

प्रदेश अध्यक्ष के गृह जनपद में जीत साबित हुई बौनी 
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के गृह जनपद में महापौर पद पर भाजपा प्रत्याशी की सिर्फ 3589 मतों से जीत बौनी साबित हुई। दिल्ली रोड स्थित मतदाता संवाद सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने मंच से कहा था कि भाजपा के महापौर प्रत्याशी की जीत तो पक्की है, हमें बड़ी जीत के लिए काम करना है। यह हुंकार खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक मई को लाइनपार के रामलीला मैदान के मंच से भाजपा के महापौर और अन्य निकायों के अध्यक्ष पदों की जीत के लिए भरी थी। मगर न तो प्रदेश अध्यक्ष के बड़ी जीत का लक्ष्य हासिल हुआ न मुख्यमंत्री के हुंकार का बहुत फर्क शहरी मतदाताओं पर पड़ता दिखा। हां यह जरूर है कि इस बार निगम के सदन में पार्षदों की संख्या भाजपा की भी बढ़ी। मगर कांग्रेस के अप्रत्याशित प्रदर्शन से उसकी संख्या 10 से बढ़कर इस बार 16 पार्षदों की जीत तक पहुंच गई। 

सांसद और पांच विधायक, फिर भी नहीं दिला पाए 15000 वोट
शहर की सरकार के चुनाव में सपाई रणनीति बिखर गई। साइकिल की रफ्तार ऐसी कुंद हुई कि उसके प्रत्याशी सैय्यद रईसुद्दीन को 15 हजार वोट भी नसीब नहीं हुए। सपा को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा और उनकी जमानत तक जब्त हो गई। जबकि 2017 में वह तीसरे स्थान पर थी और मजबूती से चुनाव लड़ी। लेकिन,  इस बार एक सांसद और पांच विधायकों वाली समाजवादी पार्टी के रणनीतिकार जीत को दूर अपने परंपरागत मुस्लिम मतों को सहेजने में भी चारों खाने चित्त हो गए। इसका कारण प्रत्याशी चयन भी माना जा रहा है। आखिरी वक्त में जिस प्रत्याशी को टिकट मिला वह राजनीति के मंझे खिलाड़ी से अधिक शहर के बड़े एक्सपोर्टर और प्रबुद्ध समाज से रहे। वह पूरे चुनाव जनता से नहीं जुड़ पाए और न ही पार्टी के बड़े नेता उनके समर्थन में वोट सहेज पाए। जबकि सांसद डॉ. एसटी हसन खुद महापौर पद पर एक बार जीत चुके हैं। इसके अलावा जिले की छह में से पांच विधानसभा सीटों पर सपा के विधायक हैं। 

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