शिखर सम्मेलन में भारत

शिखर सम्मेलन में भारत

दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। इस दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार से शुरू हुई तीन देशों की यात्रा को काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। पीएम मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की छह दिवसीय यात्रा पर गए हैं जहां वह दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह जी-7, क्वाड समूह सहित कुछ बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में भाग लेंगे।

यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के 40 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की संभावना है। वह शिखर सम्मेलनों में विश्व के दो दर्जन से अधिक नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें द्विपक्षीय बैठकें भी शामिल हैं। गौरतलब है कि जापान, जी-7 समूह के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और भारत को इसमें अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। जी-7 का गठन 1975 में किया गया था। समूह की प्रासंगिकता की बात की जाए तो फिलहाल यह उतना सफल नहीं रहा है जितना कि सफल होना चाहिए। ये सभी देश कोरोना के समय भी एकता नहीं दिखा पाए। 

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी आपस में ही भिड़ जाते हैं। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति इसलिए भी अहम है क्योंकि इस वर्ष जी 20 की अध्यक्षता भारत के पास है। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच हो रही इस यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार एवं प्रतिबद्ध है।

उन्होंने पड़ोसी मुल्कों के साथ सामान्य द्विपक्षीय रिश्तों के लिए सीमा पर शांति की आवश्यकता पर जोर दिया। कहा जा सकता है कि  चीन की बढ़ती हुई विस्तारीकरण की नीति से निपटने के लिए यह समूह भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है। अमेरिका चाहता है कि इस शिखर सम्मेलन में जी-7 से जुड़े देश रूस से हर प्रकार का निर्यात रोकने का फैसला करें। जबकि इस मामले पर भारत की स्थिति स्पष्ट और अटूट है।  भारत शांति के पक्ष में खड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से कह रहे हैं कि आज का समय सहयोग का है संघर्ष का नहीं। उल्लेखनीय है कि भारत अधिनायकवाद, आतंकवाद और हिंसक अतिवाद, गलत सूचना और आर्थिक दबाव से उत्पन्न होने वाले खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में जी-7 देशों के लिए एक स्वाभाविक सहयोगी है। यात्रा के माध्यम से भारत को आतंकवाद की रोकथाम तथा परमाणु अप्रसार के लिए भी अपनी बात रखने के लिए एक बड़ा मंच मिलेगा।

ये भी पढे़ं- एआई कानून