अयोध्या: चुनाव में पार्टी की दुर्गति पर कांग्रेसी ही खड़े कर रहे सवाल

निगम के 60 वार्डों में केवल तीन में ही बची है जमानत 

अयोध्या: चुनाव में पार्टी की दुर्गति पर कांग्रेसी ही खड़े कर रहे सवाल

अयोध्या/अमृत विचार। राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल और कई प्रदेशों में सरकार चलाने वाली कांग्रेस पार्टी का जिले और शहर में जनाधार नदारद रहा, जबकि खोई सियासी जमीन को हासिल करने के लिए पार्टी की ओर से जिला और महानगर की कमान युवा हाथों में दी गई। 

इतना ही नहीं केंद्र से लेकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा के बाद इसी पार्टी के पास आनुसांगिक संगठनों की लंबी फेहरिस्त है और केवल फेहरिस्त  ही नहीं है बल्कि जिले में ही अनुसूचित, सामान्य, पिछड़ा तथा युवा व सेवादल के कई प्रांतीय तथा कुछ के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। 

बावजूद इसके आपसी खींचतान और गुटबाजी के चलते पार्टी जिले के किसी शहरी निकाय में महापौर समेत चैयरमैन का चुनाव नहीं जीत सकी। पार्टी के खाते में कुल तीन सभासद ही आये और वह भी नवसृजित नगर पंचायत कुमारगंज में। 

नगर निगम में तो क्षेत्रीय और छोटे दलों राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी और पीस पार्टी तक ने खाता खोल लिया लेकिन कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी। अन्य सियासी दल भले ही कांग्रेस और उसके प्रदर्शन को नजर अंदाज करें लेकिन पार्टी के भीतरखाने ही उथल-पथल मची हुई है।  सोशल मीडिया पर पार्टी के लोग ही प्रदर्शन पर सवाल खड़े कर रहे हैं।  

कांग्रेस पार्टी के अश्वनी सिंह ने नगर निगम चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली है। पार्टी के चुनाव परिणाम को लेकर डाटा पोस्ट करते हुए लिखा है कि नगर निगम के 60 वार्डों में पार्टी ने कुल 26 पार्षद पदों पर ही चुनाव लड़ाया था लेकिन इनमें से केवल तीन ही अपनी जमानत बचा सके। बाकी 23 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। 

दावों की हकीकत परखने के लिए आकड़ों की समीक्षा में पता चला कि कांग्रेस की ओर से पार्षद पद पर 9 अनारक्षित, चार अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर सबसे ज्यादा 13 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया था, जिसमें से केवल तीन ही जमानत बचा पाने में सफल हुए। जमानत बचाने वालों में एक अनुसूचित जाति और दो अन्य पिछड़ा वर्ग से है।

यह भी पढ़ें:-अयोध्या : आरोपी इंचार्ज प्रधानाध्यापक के शिक्षामित्र भाई पर एफआईआर