रेल हादसे में जख्मी भाइयों ने कहा- भगवान ने दिया है उन्हें दूसरा जीवन
कोलकाता। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में पश्चिम बंगाल के दो बेरोज़गार भाई भी जख्मी हुए हैं। मोनोतोष और संतोष मंडल का मानना है कि भगवान ने उन्हें दूसरी ज़िदंगी दी है। दोनों भाइयों का यहां सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है। वह शुक्रवार की शाम को शालीमार से केरल जाने के लिए कोरोमंडल-एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुए थे जहां उन्हें नौकरी की पेशकश की गई थी।
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कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर में मोनोतोष ने कहा, “ हमें बृहस्पतिवार को ट्रेन में सवार होना था, लेकिन हमें शुक्रवार की टिकट मिल सकी। भाई और मैं एक साइड बर्थ पर बैठे थे जब तगड़ा झटका लगा, तेज़ धमाका सुनाई दिया, फिर अंधेरा छा गया और मैं बेहोश हो गया।” उन्होंने कहा, “ जब आंख खुली तो मैंने खुद को बोगी की खिड़कियों से लटका हुआ पाया, लेकिन संतोष नहीं दिखा।”
मोनोतोष के हाथ में प्लास्टर चढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने उनकी नीचे उतरने में मदद की और फिर उन्हें संतोष दिखा जिसके सिर से खून बह रहा था। वहां अन्य जख्मी यात्री भी पड़े थे। दोनों भाइयों ने कहा, “ हमारे लिए यह ऐसा था जैसे कि भगवान ने हमें दूसरा जीवन दिया हो।
हमारे साथ यात्रा शुरू करने वालों में से कई लोगों की जान चली गई।” उसने कहा, “ हम जख्मी थे, लहू-लुहान थे लेकिन हमारे लिए चिंता की बात यह थी कि हमारे मोबाइल फोन गायब थे.. जिसका मतलब था कि हम अपने रिश्तेदारों को कॉल कर मदद के लिए नहीं बुला सकते थे।”
दोनों ने कहा कि उन्हें स्थानीय स्तर पर चिकित्सा सहायता मिली और बाद में उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ट्रॉमा केयर सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया जहां उनका इलाज किया जा रहा है। अस्पताल के निदेशक डॉ. मोनिमॉय बनर्जी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में घायल हुए छह लोगों को कल रात यहां लाया गया था।
हमने उन सभी का इलाज किया।” राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, दुर्घटना स्थल से 80 से अधिक घायलों को राज्य के विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया गया है या लाया गया है। एमएसवीपी मिदनापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जयंत राउत ने संपर्क करने पर कहा कि सबसे ज्यादा 60 घायलों को मिदनापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों के हाथ, पैर, कूल्हे और सीने में फ्रैक्चर है।
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