बरेली: 40 करोड़ का अमृत पी गए पीने वाले...सूखे रह गए सरोवर, जानिए पूरा मामला
जिले के 295 तालाबों में से 259 के अमृत सरोवर बनने का दावा, मगर ज्यादातर पड़े हैं सूखे, कई बन गए बच्चों के खेलने की जगह
बरेली, अमृत विचार। जल संरक्षण और पर्यटन के हसीन सपनों से सजाई गई अमृत सरोवर योजना पर जिले में बहाए गए 40 करोड़ का अमृत पीने वाले पी गए। जिले में 295 तालाब अमृत सरोवर बनने थे जिनमें से ज्यादातर जैसे के तैसे रह गए। डीसी मनरेगा गंगाराम वर्मा का दावा है 259 तालाब अमृत सरोवर बन चुके हैं, मगर मौके पर पहुंचते ही यह दावा भी तालाबों की तरह सूखा नजर आने लगता है। पानी तक न होने की वजह से तमाम अमृत सरोवरों में रेत उड़ रही है। कई जगह सूखे सरोवरों को बच्चों ने खेलने की जगह बना रखा है।

पिछले साल आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर सरकार ने अमृत सरोवरों पर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने के साथ तिरंगा फहराने का आदेश दिया था। इस आदेश पर भी आधे-अधूरे अमृत सरोवरों पर ही तिरंगा फहराकर खानापूरी कर दी गई। 40 करोड़ फूंककर भी अमृत सरोवर क्यों नहीं बन पाए, इस पर न शासन न ही जिले के अधिकारियों के स्तर पर किसी की जवाबदेही तय की गई। इस साल भी कोई खास काम नहीं हो पाया और योजना पहले की तरह ऊपर से नीचे तक हवा-हवाई ढंग से चलती रही।
हालत यह है कि फरीदपुर, फतेहगंज पश्चिमी, बिथरी ब्लॉक के कई गांवों में जलसंरक्षण के लिए लाखों की लागत से तालाबों पर काम शुरू कराया गया, लेकिन खोदाई कराने के बाद किसी ने उनकी ओर मुड़कर भी नहीं देखा। न इंटरलाकिंग हुई न पौधे रोपे गए। सिटीजन इन्फार्मेशन बोर्ड और झंडारोहण के लिए स्तंभ बनाने का काम भी नहीं हो पाया। कहने को शासन स्तर पर एक एप भी बनाया गया था जिसके जरिए अमृत सरोवरों की निगरानी का दावा किया गया था लेकिन यह एप भी किसी काम नहीं आया।
एक अमृत सरोवर पर दिखाया 15 से 25 लाख तक का खर्च
जिले में अलग-अलग ब्लॉकों में 330 तालाबों को अमृत सरोवर बनाने के लिए पिछले साल चिह्नित किया गया था। सात से दस लाख रुपये तक इनके कथित विकास पर खर्च किए गए। इसके अलावा पंचायती राज विभाग की ओर से यहां ध्वजारोहण के लिए झंडा स्थल, बैठने के लिए बेंचें लगवाने जैसे काम कराए जाने थे।
पार्क भी विकसित किया जाना था। तालाब की खोदाई के लिए मनरेगा श्रमिकों को लगाया गया था। योजना की नाकामी का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि 259 अमृत सरोवर बनने का दावा करने वाले डीसी मनरेगा खुद अब तक खंड विकास अधिकारियों को नोटिस पर नोटिस जारी कर रहे हैं। सत्ताधारी दल के किसी नेता को एक भी अमृत सरोवर का उद्घाटन करने का मौका नहीं मिल पाया है।
फरीदपुर और आंवला में अधूरे पड़े हैं तालाब, फिर भी बंद कर दिया काम
फरीदपुर ब्लॉक क्षेत्र में 40 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इनमें लौंगपुर, सिसैया, माली नगला, शिवपुरी, हरेला, केसरपुर, नवादा वन रसुइया समेत कई गांवों में पिछले साल अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू तो हुआ था लेकिन ज्यादातर अमृत सरोवर अब तक पूरे नहीं हो सके हैं।
आंवला ब्लॉक की 48 ग्राम पंचायतों में पिछले साल 15 अगस्त को तिरंगा फहराने का आदेश था। ग्राम पंचायत सिंघाई कला, भगवंतापुर ,ककरा खुर्द में अधूरे अमृत सरोवर पर भी झंडा फहरा दिया गया। सरकारी रिकॉर्ड में 10 से ज्यादा सरोवरों का निर्माण पूरा दिखाकर काम बंद कर दिया गया है।
अफसरों की अमृतवाणी... गर्मी में सूख गया सरोवरों का पानी
तमाम अमृत सरोवरों में पानी नहीं है, यह अफसर भी मानते हैं। हालांकि इसके लिए अजीबोगरीब कारण सामने रख देते हैं। अफसरों का कहना है कि गर्मी का प्रकोप ज्यादा रहने की वजह से सरोवरों में पानी सूख गया है। इस बार मानसून की बारिश होने पर अमृत सरोवरों का बेस मजबूत हो जाएगा तो उन्हें फिर भरा जाएगा।
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